विदेश मंत्रालय के द कॉन्सुलर, पासपोर्ट और वीज़ा डिवीज़न में एक आरटीआई आवेदन दायर कर ये पूछा गया था कि साल 2009 से 2013 के बीच कितने लोगों ने अपने भारतीय पासपोर्ट सरेंडर किए हैं. इसके जवाब में अधिकारी ने कहा था कि मांगी गई जानकारी आरटीआई एक्ट के दायरे से बाहर है.