उन्नाव के बबुरहा गांव की दलित युवतियों को ज़हर देने के मामले को सुलझाने का दावा करते हुए पुलिस का कहना है कि आरोपी युवक उपचाराधीन 17 साल की युवती को पसंद करता था और युवती के फोन नंबर देने से मना करने से पर उसने नाराज़ होकर पानी में कीटनाशक मिला दिया, जिसे तीनों लड़कियों ने पी लिया.
उन्नाव ज़िले के बबुरहा गांव में दो किशोरियों की संदिग्ध मौत के मामले में पुलिस का कहना है कि मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है और न ही उनके शरीर पर चोट का कोई निशान मिला है. हालांकि मृतकाओं के शरीर में ज़हरीला पदार्थ मिलने की पुष्टि हुई है. राज्य मानवाधिकार आयोग ने इस बारे में रिपोर्ट तलब की है.
घटना उन्नाव ज़िले के बबुरहा गांव की है, जहां चारा लेने गई एक परिवार की तीन युवतियों के घर न लौटने पर परिवार ने खोजबीन के दौरान उन्हें एक खेत में अचेत पाया. उनके हाथ भी बंधे थे. पुलिस का कहना है कि प्रथमदृष्टया मामला ज़हर खाने का लग रहा है. जांच के लिए छह टीमें बनाई गई हैं.
अक्टूबर 2020 में हाथरस में दलित युवती से सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद वहां जा रहे केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को ज़मानत देते हुए शीर्ष अदालत ने उन्हें परिजनों और डॉक्टरों के अलावा किसी से मिलने की अनुमति नहीं दी है. पीठ ने यह भी कहा इस दौरान वे सोशल मीडिया समेत मीडिया को कोई इंटरव्यू नहीं देंगे.
हाथरस के ज़िलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार पिछले साल सितंबर महीने में एक दलित लड़की से कथित सामूहिक बलात्कार और उसकी मौत के मामले में अपनी कार्यप्रणाली को लेकर सुर्खियों में आए थे. आरोप है कि लड़की की मौत के बाद प्रशासन ने परिवार की सहमति के बिना आधी रात में उसका अंतिम संस्कार कर दिया था.
उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले की घटना. पुलिस ने बताया कि यह मामला पिछले दो महीनों से चल रहा है. पुलिस कई बार मामले को सुलझा चुकी है और फ़िलहाल मामले की जांच जारी है.
उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 14 सितंबर को ठाकुर जाति के चार युवकों ने कथित तौर पर एक दलित युवती से बलात्कार कर बेरहमी से मारपीट की थी, जिसके बाद इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी. सीबीआई ने अभियुक्तों पर एससी/एसटी एक्ट के तहत भी आरोप भी लगाए हैं.
यूपी पुलिस ने बीते अक्टूबर में हाथरस जा रहे केरल के एक पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन समेत चार युवकों को गिरफ़्तार किया था. राज्य सरकार ने कोर्ट में दावा किया है कि कप्पन पत्रकार नहीं, बल्कि अतिवादी संगठन पीएफआई के सदस्य हैं. केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
मामला मध्य प्रदेश के गुना ज़िले का है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 50 वर्षीय दलित खेतिहर मज़दूर से दो युवकों ने सिगरेट जलाने के लिए माचिस मांगी थी. माचिस न होने की बात को लेकर कथित तौर पर मृतक का युवकों से विवाद हो गया था.
नागरिक अधिकार संस्था ने पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ ने उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के साथ कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में अपनी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की है. संस्था का कहना है परिवार नज़रबंद जैसी स्थितियों में रह रहा है. सीबीआई को मामले में पुलिस की भूमिका की भी जांच करनी चाहिए.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने बीते पांच अक्टूबर को हाथरस जाने के रास्ते में केरल के एक पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन समेत चार युवकों को गिरफ़्तार किया था. यूपी सरकार ने कोर्ट में दाख़िल हलफ़नामे में दावा किया है कि सिद्दीक़ कप्पन पत्रकार नहीं, बल्कि अतिवादी संगठन पीएफआई के सदस्य हैं.
पत्रकार सिद्दीक कप्पन की गिरफ़्तारी पर केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्टस ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है. सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि अदालत के सामने मौलिक अधिकारों के हनन के लिए दायर होने वाली अनुच्छेद 32 वाली याचिकाओं बाढ़-सी आ गई है और वे इन्हें हतोत्साहित कर रहे हैं.
यह अमेठी के बंदुहिया गांव की घटना है, जहां आरोप है कि सवर्ण जाति के पांच-छह लोगों ने दलित ग्राम प्रधान के पति को अगवा कर मारपीट की और उन्हें ज़िंदा जला दिया. प्रधान के परिवार का कहना है कि आरोपी सरकारी धन उगाहने को लेकर धमकाया करते थे. पुलिस ने मामले में तीन आरोपियों को गिरफ़्तार किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई जांच पूरी हो जाने के बाद अदालत फ़ैसला करेगी कि मामले को उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर किया जाए या नहीं.
हाल ही में एएमयू प्रशासन ने जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में अस्थायी चिकित्साधिकारी के तौर पर काम कर रहे डॉक्टर मोहम्मद अज़ीमुद्दीन मलिक और डॉक्टर उबैद इम्तियाज़ हक़ की सेवाएं समाप्त कर दी थी. इन्होंने हाथरस बलात्कार मामले में पुलिस के उलट बयान दिया था.