नोएडा पुलिस ने बताया कि ग्रैंड ओमैक्स सोसाइटी में महिला के साथ अभद्रता के मामले में फ़रार चल रहे श्रीकांत त्यागी को मंगलवार तड़के मेरठ से गिरफ़्तार किया गया. इससे पहले त्यागी ने एक ज़िला अदालत में आत्मसमर्पण की याचिका दायर की थी.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने लोकसभा में बताया कि 2018 में महिलाओं के ख़िलाफ़ तेज़ाब हमले के 131 मामले, 2019 में 150 और 2020 में 105 मामले दर्ज किए गए.
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के मंझारी थाना क्षेत्र का मामला है, जहां एक व्यक्ति ने डायन होने के संदेह में कुछ लोगों के साथ मिलकर अपनी 45 वर्षीय चाची की हत्या कर शव को जंगल में छुपा दिया. पुलिस ने बताया कि आरोपियों की तलाश की जा रही है.
झारखंड के गढ़वा जिले के चिनियां थाना क्षेत्र का मामला. जादू-टोना करने के संदेह में किसी व्यक्ति की हत्या कर देना राज्य में एक बड़ी सामाजिक बुराई है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, ऐसे मामलों में 2001 और 2020 के बीच कुल 590 लोगों की मौत हुई, जिनमें ज़्यादातर महिलाएं थीं.
भोपाल के हमीदिया अस्पताल की 50 से अधिक नर्सों ने पत्र लिखकर कहा था कि अधीक्षक डॉ. दीपक मरावी नर्सों से छेड़छाड़ करते थे, नशे की हालत में उनके चेंजिंग रूम में घुस जाते थे और विरोध करने पर नौकरी से निकलवा देने की धमकी देते थे. अस्पताल की जांच समिति पर लीपापोती करने के आरोप के बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले के मीरगंज थाना क्षेत्र के एक गांव का मामला. पुलिस के अनुसार, बलात्कार के आरोपी के परिवार के लोग काफी समय से पीड़ित पक्ष पर समझौता करने का दबाव डाल रहे थे. पुलिस ने अब चार आरोपियों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज किया है. बलात्कार का आरोपी फिलहाल जेल में है.
घटना लोहरदगा के सेरेंगदाग थाना क्षेत्र के गणेशपुर गांव की है, जहां कुछ ग्रामीणों की मृत्यु के बाद स्थानीय लोगों ने एक 55 वर्षीय महिला पर 'जादू-टोना' करने का आरोप लगाया. पुलिस के अनुसार, ग्रामीणों ने एक बैठक कर महिला को मौत की सज़ा सुनाई और पीटा. महिला को घायलावस्था में ज़हर खिलाकर फिर पीटा गया और दम तोड़ने के बाद शव को बोरे में डालकर पास के जलप्रपात में फेंक दिया.
घटना गुमला ज़िले के सदर थाना क्षेत्र स्थित बसुआ गांव की है, जहां एक लड़की को घर छोड़ने के बहाने बाइक पर ले गए दो युवकों ने उसके साथ बलात्कार किया. इसे लेकर आक्रोशित ग्रामीणों ने पहले आरोपियों को पीटा और फिर केरोसिन छिड़ककर आग लगा दी. वहीं, गिरिडीह में परिजनों द्वारा एक बलात्कार पीड़िता को आग लगाने की घटना सामने आई है.
सर्वाइवर के पिता की शिकायत पर पुलिस ने सामूहिक बलात्कार और पॉक्सो की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. मीडिया के मुताबिक़, एक आरोपी सत्तारूढ़ टीआरएस के नेता का बेटा है.
उत्तर प्रदेश के बदायूं ज़िले का मामला. बीते नौ मई को एक ही परिवार के दो पक्षों में हुए झगड़े के मामले में पुलिस टीम लगातार दबिश दे रही थी. आरोप है कि पुलिस ने एक पक्ष की युवती के साथ मारपीट और छेड़छाड़ की, जिससे दुखी होकर उसने फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली. हालांकि पुलिस इन आरोपों को निराधार बताया है.
पुलिस ने बताया कि गायिका के संबंधी, भीम आर्मी और अन्य दल के कुछ नेता दिल्ली के जफ़रपुर कलां थाने में शव लेकर आए और गायिका से सामूहिक बलात्कार किए जाने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया. पुलिस ने बताया कि बलात्कार का अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है. आरोपी गायिका को पहले से जानते थे. उनके ख़िलाफ़ हत्या और अपहरण का केस दर्ज किया गया है. इससे पहले उनमें से एक के ख़िलाफ़ परिवार ने बलात्कार का केस दर्ज
साल 2019 को हैदराबाद में 26 साल की महिला डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी. इस मामले में चार लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिनकी कुछ दिन बाद पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी. मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पुलिसकर्मियों ने ‘जान-बूझकर’ गोली चलाई थी और पुलिस द्वारा रखा गया पूरा पक्ष ‘मनगढ़ंत’ व ‘अविश्वसनीय’ था.
सहारनपुर ज़िले के देवबंद थाना क्षेत्र का मामला है. एक युवक ने युवती से कथित तौर पर छेड़छाड़ की जिसके बाद अलग-अलग समुदायों के लोग आमने-सामने आ गए और लाठियों से एक-दूसरे पर हमला कर दिया. इस दौरान दोनों पक्षों के एक-एक व्यक्ति घायल हो गए.
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के मामले में खंडित फ़ैसला देने के बाद एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया है. 11 मई को हाईकोर्ट की पीठ के एक जज ने आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार) के तहत दिए गए अपवाद के प्रावधान को समाप्त करने का समर्थन किया, जबकि दूसरे न्यायाधीश ने कहा था कि यह अपवाद असंवैधानिक नहीं है.
दिल्ली हाईकोर्ट की एक पीठ ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के मामले में खंडित फ़ैसला दिया, जहां एक जज ने आईपीसी की धारा 375 (बलात्कार) के तहत दिए गए अपवाद के प्रावधान को समाप्त करने का समर्थन किया, जबकि दूसरे न्यायाधीश ने कहा कि यह असंवैधानिक नहीं है. कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय पर निराशा ज़ाहिर की है.