राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, जम्मू कश्मीर में वर्ष 2021 में आपराधिक मामलों का कुल आंकड़ा बढ़कर 31,675 हो गया, जिसमें 27,447 आईपीसी संबंधी अपराध और 4,228 ‘विशेष एवं स्थानीय क़ानून’ संबंधी अपराध शामिल हैं.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के 75 प्रतिशत मंत्रियों ने अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है, जिसमें 13 (65 प्रतिशत) मंत्रियों ने अपने ख़िलाफ़ गंभीर आपराधिक मामलों की जानकारी दी है.
राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर विरोधी दल के नेताओं को निशाना बनाए जाने के विपक्ष के आरोपों के मद्देनज़र यह स्पष्ट किया. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीते चार जुलाई को सदन में आरोप लगाया था कि संसद सत्र जारी रहने के बावजूद उन्हें ईडी द्वारा समन भेजा गया है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और नेशनल इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, राज्यसभा के वर्तमान 226 सदस्यों में 71 यानी 31 प्रतिशत ने अपने हलफ़नामों में उनके ख़िलाफ़ आपराधिक मामले होने की घोषणा की है जबकि 37 यानी 16 प्रतिशत ने गंभीर आपराधिक मामले होने की पुष्टि की है.
एआईएमआईएम विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी के ख़िलाफ़ ये मामले 2013 में दर्ज किए गए थे. उन पर एक समुदाय के ख़िलाफ़ भड़काऊ और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप था. अदालत ने कहा कि आरोपी के ख़िलाफ़ मामलों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं और उन्हें संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच कहा कि यूपी में शपथ लेने वाले 45 नए मंत्रियों में से 22 ने अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है और उनमें से ज़्यादातर पर गंभीर आरोप हैं.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और पंजाब इलेक्शन वॉच मुख्यमंत्री सहित सभी 11 मंत्रियों के चुनावी हलफ़नामों का विश्लेषण किया. एडीआर ने कहा कि सात मंत्रियों ने अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामले घोषित किए हैं. उनमें से चार ने अपने ख़िलाफ़ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं. मुख्यमंभी भगवंत मान गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे चार मंत्रियों में शामिल हैं.
चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने छत्तीसगढ़ पुलिस अकादमी के निलंबित निदेशक गुरजिंदर पाल सिंह की अपील पर यह टिप्पणी की. सिंह ने जबरन उगाही के आरोप में तीसरी एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद दंडात्मक कार्रवाई से बचाव का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है.
सुप्रीम कोर्ट जघन्य अपराधों में दोषी पाए गए जनप्रतिनिधियों पर आजीवन प्रतिबंध लगाने और उनके मुक़दमों का शीघ्र निपटारा करने के अनुरोध संबंधी जनहित याचिका सुन रहा है. अदालत ने एजेंसी द्वारा त्वरित जांच और सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश जारी किए जिनमें उच्च न्यायालयों द्वारा अतिरिक्त विशेष अदालतों की स्थापना शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट जघन्य अपराधों में दोषी पाए गए जनप्रतिनिधियों पर आजीवन प्रतिबंध लगाने और उनके मुक़दमों का शीघ्र निपटारा करने के अनुरोध संबंधी जनहित याचिका सुन रहा है. कोर्ट ने जांच और सुनवाई में अत्यधिक देरी पर भी चिंता जताई और केंद्र से कहा कि वह ज़रूरी मानव संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराए.
कर्नाटक हाईकोर्ट का यह आदेश पिछले हफ़्ते के सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद आया है, जिसमें उच्च न्यायालयों की मंज़ूरी के बिना राज्यों द्वारा विधायकों और सांसदों के ख़िलाफ़ मामलों को वापस लेने पर रोक लगा दिया गया था. मामले वापस लेने से इससे हिंदुत्ववादी समूहों के 205 सदस्यों, मैसूर से भाजपा सांद प्रताप सिम्हा और 106 मुस्लिमों को फ़ायदा पहुंचा था.
बाघमारा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक ढुल्लू महतो पर आरोप है कि वे अपने समर्थकों के साथ कथित तौर पर कोयला क्षेत्र में रेलवे लाइन बिछाने के काम में रंगदारी की मांग कर रहे थे. महतो पर उनकी ही पार्टी की एक महिला नेता का यौन उत्पीड़न करने समेत दर्जन भर से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए मंत्रिमंडल में शामिल कुल 78 मंत्रियों में से चार के ख़िलाफ़ हत्या के प्रयास के मामले दर्ज हैं. इसके साथ ही 90 फीसदी मंत्री करोड़पति हैं.
चुनाव अधिकार संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार, केरल सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल 12 या 60 प्रतिशत मंत्रियों ने अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जबकि पांच या 25 प्रतिशत मंत्रियों ने अपने ख़िलाफ़ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ निजी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 2008-12 तक मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने भूमि अधिग्रहण के ज़रिये 20 एकड़ जमीन को ग़ैरक़ानूनी रूप से अधिसूचित किया, ताकि निजी पक्षकारों को अनुचित लाभ मिल सके.