पिछले दो दशकों से विभिन्न विभागों में काम कर रहे 60,000 से अधिक दिहाड़ी कर्मी, आकस्मिक कामगार और अन्य कर्मचारी नौकरी नियमित करने व लंबित बकाया राशि जारी करने समेत कई मांगों को लेकर जम्मू और श्रीनगर में नियमित रूप से प्रदर्शन करते आ रहे हैं. एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि वे सरकार के जिद्दी, कर्मचारी विरोधी रवैये से आजिज़ आ गए हैं. भाजपा नेताओं ने उन्हें सिर्फ बेवकूफ़ बनाया है.
बीते 11 सितंबर को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने उन पर्यवेक्षकों के 918 सहायकों को तत्काल हटाने का आदेश दिया, जो काम के लायक नहीं माने जाने के बावजूद समाज कल्याण विभाग की एकीकृत बाल विकास योजना के विभिन्न क्षेत्र के पदाधिकारियों के साथ जुड़े हुए हैं. प्रदर्शन के दौरान सरकार से उनके तीन महीने के लंबित वेतन को जारी करने के अलावा उन्हें बहाल करने की मांग की गई.
मामला उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िले के गौर थाना क्षेत्र का है. ऐसा ही एक मामला झारखंड में भी सामने आया है. राज्य के दुमका ज़िले में अवैध प्रेम संबंध के आरोप में एक विवाहित महिला और पुरुष को ग्रामीणों द्वारा कथित तौर पर निर्वस्त्र घुमाने का मामला सामने आया है. इस संबंध में पुलिस ने छह लोगों को गिरफ़्तार किया है.