एल्गार परिषद मामले में एक आरोपी और गवाह का कहना है कि भीमा-कोरेगांव हिंसा आरएसएस कार्यकर्ता संभाजी भिड़े और भाजपा के पूर्व पार्षद मिलिंद एकबोटे ने भड़काई थी. उन्होंने जांच आयोग को एक प्रेस विज्ञप्ति भी सौंपी तथा दावा किया कि वह विज्ञप्ति मिलिंद एकबोटे ने हिंसा से कुछ दिन पहले पुणे के ज़िलाधिकारी को दी थी और उसमें मुख्य रूप से दलित और आंबेडकरवादी समुदायों के लोगों के एकत्रित होने के प्रति विरोध जताया था.
भीमा-कोरेगांव हिंसा के एक दिन बाद 2 जनवरी 2018 को एक दलित कार्यकर्ता ने श्री शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के अध्यक्ष संभाजी भिड़े और समस्त हिंदू अघाड़ी नेता मिलिंद एकबोटे के ख़िलाफ़ हिंसा को उकसाने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था. महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने कहा कि सरकार को चार्जशीट के लिए मंज़ूरी का प्रस्ताव मिला है, इस पर निर्णय लिया जाएगा.
2018 में भीमा-कोरेगांव में दलित समुदाय के लोगों पर हिंसक भीड़ के हमले के एक दिन बाद एक कार्यकर्ता ने शिकायत दर्ज कर हिंदुत्ववादी नेता मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिड़े पर इस हमले के साज़िशकर्ता होने का आरोप लगाया था. घटना के क़रीब तीन साल बाद उन्हें इस मामले की सुनवाई की कोई उम्मीद नहीं दिखती.
पुणे की एक अदालत ने कुछ शर्तों के साथ मिलिंद एकबोटे को राहत दी है. हिंसा के संबंध में एक दलित महिला द्वारा शिकायत के बाद एससी/एसटी एक्ट के तहत गिरफ़्तार किया गया था.
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार दक्षिणपंथी नेता संभाजी भिड़े और उनके संगठन शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के ख़िलाफ़ छह मामले दर्ज किए गए थे. इसके अलावा भाजपा और शिवसेना नेताओं के ख़िलाफ़ दर्ज मामले भी महाराष्ट्र सरकार द्वारा वापस लिए गए.
भाजपा सत्ता में आने के बाद यह कह रही है कि आंबेडकर उसके लिए प्रातः स्मरणीय हैं लेकिन उन्हीं के संगठन और सरकार से संबंधित लोग मनुस्मृति के गौरवगान के साथ संविधान को बदलने की बात कर रहे हैं.
महाराष्ट्र में पुणे ज़िले के भीमा-कोरेगांव के लोगों ने हिंसा के लिए बाहरी लोगों को दोषी बताया, मुआवज़े की मांग, भिड़े का हिंसा में शामिल होने से इनकार.
दलित नेता प्रकाश आंबेडकर ने महाराष्ट्र बंद को वापस लेने का ऐलान करते हुए सरकार से मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिड़े को जल्द गिरफ़्तार करने की मांग की है.