उत्तर प्रदेश: क्या बहुसंख्यकवादी भारत में फ़र्ज़ी आतंकी आरोप चुनावी मुद्दा हो सकते हैं?

आतंकवाद के फ़र्ज़ी मामलों में फंसे लोगों के लिए लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव उत्तर प्रदेश में आज़मगढ़ से चुनाव में खड़े हुए हैं.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी कहां है

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव प्रचार में जहां भाजपा, सपा-रालोद और कांग्रेस लगातार मैदान में दिखाई दे रहे हैं, वहीं बसपा सुर्ख़ियों से ग़ायब-सी है.

राजस्थान: दलित युवक के साथ मारपीट कर पेशाब पिलाने का आरोप, केस दर्ज

राजस्थान के चुरू ज़िले की घटना. पुलिस ने बताया कि पीड़ित ने आरोप लगाया कि जाट समुदाय के आठ लोगों ने बीते 26 जनवरी की रात 11 बजे उन्हें घर से अगवा कर लिया था और नज़दीक के खेत में जान से मारने की मंशा से ले गए थे. इस संबंध में दो आरोपियों को गिरफ़्तार किया गया है.

राजस्थान: दोषियों की सज़ा रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने पॉक्सो क़ानून के प्रावधानों को अनदेखा किया

साल 2016 में बीकानेर के एक स्कूल की छात्रा के बलात्कार और मौत की घटना के बाद दो स्टाफ सदस्यों को इस अपराध को छिपाने का दोषी पाया गया था. अब राजस्थान हाईकोर्ट ने उनकी सज़ा रद्द करते हुए कहा कि वे 'लड़की की प्रतिष्ठा बचाने की कोशिश' कर रहे थे.

तमिलनाडु: कथित तौर पर पुलिस हिरासत में विशेष रूप से सक्षम दलित की मौत

तमिलनाडु के सेलम ज़िले के रहने वाले प्रभाकर और उनकी पत्नी को चोरी के संदेह में तीन थानों की पुलिस उनके घर से मारपीट करके जबरन उठा ले गई थी. चार दिन बाद पुलिस ने उनके परिवार को सूचित किया कि प्रभाकर अस्पताल में हैं और उसकी हालत गंभीर है. हिरासत में प्रताड़ना के आरोपों के बीच तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है.

बिहार: पंचायत चुनाव में वोट न देने का आरोप लगा दलितों पर अत्याचार करने वाला गिरफ़्तार

बिहार के औरंगाबाद ज़िले के अंबा थाना क्षेत्र का मामला है. आरोपी बलवंत सिंह ने डुमरी पंचायत के मुखिया पद का चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में आरोपी कथित तौर पर कुछ लोगों को ज़मीन पर थूकने और चाटने के लिए मजबूर करते, जूतों से पीटते हुए जातिसूचक अपशब्द कहते नज़र आ रहे हैं.

जांच अधिकारी घटिया जांच को छुपाने के लिए आदिवासियों को हिरासत में ले लेते हैं: जस्टिस चंद्रचूड़

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि जनजातियों को गै़र-अधिसूचित किए जाने के लगभग 73 वर्षों बाद भी आदिवासी उत्पीड़न और क्रूरता के शिकार होते हैं. भले ही एक भेदभावपूर्ण क़ानून को न्यायालय असंवैधानिक ठहरा दे या संसद निरस्त कर दे, लेकिन भेदभावपूर्ण व्यवहार फ़ौरन नहीं बदलता है. 

राजस्थान: क्या मंत्रिमंडल पुनर्गठन कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक की ओर लौटने की बेचैनी है

राजस्थान के मंत्रिमंडल पुनर्गठन में कांग्रेस आलाकमान ने अनुसूचित जाति व जनजाति और महिलाओं को अच्छी संख्या में प्रतिनिधित्व देकर एक प्रयोग करने की कोशिश की है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह कांग्रेस की अपने पुराने और पारंपरिक वोट बैंक की ओर लौटने की छटपटाहट है.

देश में दो प्रकार के हिंदू, एक जो मंदिर जा सकते हैं और दूसरे जो नहीं जा सकते: मीरा कुमार

लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि हम 21वीं सदी में रहते हैं, हमारे पास चमचमाती सड़कें हैं, लेकिन बहुत से लोग जो उन पर चलते हैं, आज भी जाति व्यवस्था से प्रभावित हैं. हमारा मस्तिष्क कब चमकेगा? हम कब अपनी जाति आधारित मानसिकता का त्याग करेंगे.

राजस्थान: दलित युवक की पीट-पीट कर हत्या, एक नाबालिग समेत पांच लोग गिरफ़्तार

घटना सात अक्टूबर को राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले के प्रेमपुरा इलाके में हुई. कथित प्रेम संबध को लेकर दलित युवक की पीट-पीट कर हत्या की गई. पुलिस ने महिला के पूर्व पति समेत अन्य आरोपियों के ख़िलाफ़ हत्या, अपहरण और एससी/एसटी क़ानून के तहत मामला दर्ज किया है.

सिद्दीक़ कप्पन की गिरफ़्तारी का एक साल पूरा होने पर पत्रकारों ने की रिहाई की मांग, प्रदर्शन

5 अक्टूबर 2020 को केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन और तीन अन्य को हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ़्तार किया गया था. कप्पन की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर विभिन्न पत्रकार संघों ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के बाहर प्रदर्शन करते हुए कहा कि उन पर लगाए गए आरोप मनमाने हैं.

हाथरस गैंगरेप और मर्डर के साल भर बाद भी ख़ौफ़ में है पीड़ित परिवार

वीडियो: उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में एक दलित युवती के साथ बलात्कार और हत्या की घटना को एक साल हो गए. बीते दिनों दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में उनके परिवार के लिए न्याय की मांग के लिए एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया.

भीमा-कोरेगांव: एक गवाह ने हिंसा के लिए आरएसएस और भाजपा नेताओं को ज़िम्मेदार ठहराया

एल्गार परिषद मामले में एक आरोपी और गवाह का कहना है कि भीमा-कोरेगांव हिंसा आरएसएस कार्यकर्ता संभाजी भिड़े और भाजपा के पूर्व पार्षद मिलिंद एकबोटे ने भड़काई थी. उन्होंने जांच आयोग को एक प्रेस विज्ञप्ति भी सौंपी तथा दावा किया कि वह विज्ञप्ति मिलिंद एकबोटे ने हिंसा से कुछ दिन पहले पुणे के ज़िलाधिकारी को दी थी और उसमें मुख्य रूप से दलित और आंबेडकरवादी समुदायों के लोगों के एकत्रित होने के प्रति विरोध जताया था.

यूपी पुलिस ने चार्जशीट में कहा- सिद्दीक़ कप्पन अपने लेख में मुस्लिमों को भड़काते हैं

यूपी पुलिस ने पिछले साल अक्टूबर में हाथरस जाने के रास्ते में केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन समेत चार युवकों को गिरफ़्तार किया था. पुलिस ने कप्पन के लेखों के आधार पर कहा है कि वे ज़िम्मेदार पत्रकार नहीं हैं और माओवादियों के समर्थन में लिखते हैं.

यूपी: प्रेम संबंध के आरोप में लड़के-लड़की के मुंह पर कालिख पोत गांव में घुमाया गया, 15 गिरफ़्तार

मामला उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िले के गौर थाना क्षेत्र का है. ऐसा ही एक मामला झारखंड में भी सामने आया है. राज्य के दुमका ज़िले में अवैध प्रेम संबंध के आरोप में एक विवाहित महिला और पुरुष को ग्रामीणों द्वारा कथित तौर पर निर्वस्त्र घुमाने का मामला सामने आया है. इस संबंध में पुलिस ने छह लोगों को गिरफ़्तार किया है.

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