लोकसभा चुनाव: जीता तो सांप्रदायिक ताक़तों को ज़मींदोज़ कर दूंगा- चंद्रशेखर आज़ाद

वीडियो: लोकसभा चुनाव 2024 में आज़ाद समाज पार्टी के टिकट पर चंद्रशेखर आजाद इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नगीना सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं. चंद्रशेखर आजाद ने द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी के साथ बातचीत में कहा कि वे गरीबों और पिछड़ों के लिए लड़ रहे हैं, क्योंकि उनके लिए कोई आवाज़ उठाने वाला नहीं है. 

‘बाबासाहेब: माई लाइफ विद डॉ. आंबेडकर’ गंभीर छवि वाले जननेता के सबसे सौम्य रूप को दिखाती है

पुस्तक समीक्षा: डॉ. बीआर आंबेडकर की पत्नी डॉ. सविता आंबेडकर की मूल रूप से मराठी में लिखी गई आत्मकथा का अंग्रेज़ी अनुवाद 'बाबासाहेब माई लाइफ विद डॉ. आंबेडकर' के नाम से आया है. यह किताब बाबासाहेब को विशिष्ट विद्वेता या युगांतरकारी छवि से उतारकर एक सामान्य, गृहस्थ के तौर पर सामने रखती है.

उत्तर प्रदेश: खेत में बकरी घुसने पर 60 वर्षीय दलित महिला की बेरहमी से पिटाई

घटना उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की है. वृद्ध दलित महिला की बकरी एक खेत में घुस गई थी, जिसके बाद खेत मालिक ने जातिसूचक गालियां देते हुए महिला को लाठी से पीटा.

क्या नरेंद्र मोदी मायावती का इस्तेमाल सिर्फ़ वोट काटने के लिए करेंगे?

वीडियो: उत्तर प्रदेश की राजनीति में बसपा प्रमुख मायावती की घटती प्रासंगिकता और भाजपा के साथ गठजोड़ के बारे में बात कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान.

नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने, तो क्या नागरिकता के नियम बदलेंगे?

वीडियो: भारत की राजनीति, आगामी लोकसभा चुनाव और मोदी सरकार की वापसी की संभावनाओं को लेकर अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशुतोष वार्ष्णेय से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण को विपक्ष ने प्रधानमंत्री की तारीफ़ का सियासी भाषण क़रार दिया

कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राष्ट्रपति के भाषण में मोदी जी का प्रचार और विज्ञापन दिखा, पूरा भाषण राजनीतिक था. भाषण में कोई दूरदर्शिता नहीं थी. दलितों, वंचित वर्गों और आदिवासियों के लिए सरकार क्या करने जा रही है, इसका कोई ज़िक्र नहीं किया गया था. बेरोज़गारी, महंगाई पर भी राष्ट्रपति जी कुछ नहीं बोलीं.

अगर कर्पूरी ठाकुर जीवित होते तो मोदी सरकार के ख़िलाफ़ खड़े होते

कर्पूरी ठाकुर का पूरा जीवन संघर्ष बताता है कि उनकी और भाजपा की राजनीति में ज़मीन-आसमान का अंतर है. मोदी सरकार का कोई भी नेता कर्पूरी ठाकुर की नैतिकता और ईमानदारी को अपनी जीवन में जगह नहीं देता है. मोदी सरकार ने उन्हें भारत रत्न ज़रूर दिया है मगर इसका मक़सद केवल चुनावी हिसाब-किताब है.

कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न: क्या मंदिर के बाद भी नरेंद्र मोदी को 2024 का डर सत्ता रहा है?

वीडियो: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने के फैसले और मंडल-कमंडल राजनीति को लेकर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया

'जननायक' के नाम से लोकप्रिय समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को पुरस्कार देने की मांग पिछले कुछ दशकों में बिहार के प्रमुख नेताओं द्वारा की गई थी. 1978 में बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े, अत्यंत पिछड़े वर्गों, शिक्षित और ग़रीब महिलाओं के लिए आरक्षण की घोषणा की थी.

तमिलनाडु: 60 दलित आज़ादी से पहले की प्रथा ख़त्म करते हुए जूते पहनकर सड़क पर निकले

दलित समुदाय के 60 सदस्य ने 24 दिसंबर को तिरुपुर ज़िले के मदाथुकुलम तालुक के राजावुर गांव में पहली बार जूते पहनकर उस सड़क पर निकले, जहां उन्हें जाने की मनाही थी. ऐसा करते हुए उन्होंने कथित ऊंची जातियों के उस अनकहे नियम को तोड़ दिया, जो दलितों को सड़क पर चप्पल-जूते पहनकर चलने से रोकता था.

गुजरात: भावनगर में केस वापस लेने से इनकार करने पर दलित महिला की हत्या

गुजरात के भावनगर में एक 45 वर्षीय दलित महिला पर चार लोगों ने कथित तौर पर हमला किया था, क्योंकि उन्होंने एससी/एसटी एक्ट के तहत आरोपियों के ख़िलाफ़ दर्ज कराए गए तीन साल पुराने केस को वापस लेने के लिए अपने बेटे को समझाने से इनकार कर दिया था. पुलिस ने चारों के ख़िलाफ़ हत्या और एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है.

मनोज झा के भाषण को लेकर विवाद की जडे़ं सिर्फ वहीं नहीं, जहां बताई जा रही हैं 

सामाजिक न्याय के लिए लड़ने का दावा करने वाले हिंदुत्ववादी शक्तियों से किसी सुविचारित दीर्घकालिक रणनीति के बजाय चुनावी समीकरणों के सहारे निपटते रहे. इसने उन्हें सत्ता दिलाई तो भी सामाजिक न्यायोन्मुख नीतियां लागू व कार्यक्रम चलाकर उसकी अपील का विस्तार नहीं किया. 

मनोज झा के वक्तव्य पर प्रतिक्रिया ने दिखाया कि ‘उच्च जातियां’ अपना वर्चस्व नहीं छोड़ना चाहतीं

मनोज झा के एक वक्तव्य पर जिस प्रकार की हिंसक प्रतिक्रिया हुई है, उससे वर्चस्वशाली समुदाय के हिंसक स्वभाव को समझा जा सकता है.

‘प्रधानमंत्री और नफ़रत की सियासत करने वाले जो पसमांदा-पसमांदा कर रहे हैं, से सावधान रहना होगा’

वीडियो: पूर्व राज्यसभा सांसद अली अनवर से उनकी हालिया किताब ‘सम्पूर्ण दलित आंदोलन पसमांदा तसव्वुर’ के विशेष संदर्भ में देश की पसमांदा राजनीति, 2024 के लोकसभा चुनाव पर इसके प्रभाव और एससी कोटा में मुसलमानों को शामिल किए जाने को लेकर बातचीत.

कर्नाटक: ‘ऊंची जाति’ के परिवार ने दलितों की बस्ती में जाने वाली सड़क को बंद किया

कर्नाटक के मांड्या ज़िले का मामला. आरोप है कि ऊंची जाति के एक परिवार ने दलितों के घरों की ओर जाने वाली सड़क को अवरुद्ध कर दिया है. ग्रामीणों ने ज़िला प्रशासन से हस्तक्षेप करने और ऊंची जाति के परिवार द्वारा अतिक्रमण की गई सड़क को खाली कराने का आग्रह किया है.

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