वेनिस बिनाले: कला संसार का उत्सव ज़रूर मनाती है पर उसके त्रास को अनदेखा नहीं करती

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: वेनिस द्वैवार्षिकी की थीम थी- फॉरेनर्स एवरीवेयर. बहुत से देशों में आवश्यक कलात्मक स्वतंत्रता, सुविधाओं के अभाव के चलते कलाकार अजनबी देशों में भागकर बसते और कला सक्रिय होते हैं. ऐसी कला में अक्सर अवसाद का भाव भी होता है, मुक्ति के अलावा.

वेनिस बिनाले से भारतीय पवेलियन की अनुपस्थिति

कला-यात्रा: वेनिस में प्रतिष्ठित बिनाले के साठवें संस्करण की शुरुआत हो चुकी है. अफ़सोस यह है कि पूरा विश्व जब अपने सांस्कृतिक स्रोतों के संवर्धन पर ध्यान दे रहा है, भारत अपनी विशिष्ट उपलब्धि को रेखांकित करने में नाकामयाब रहा है.

उदय शंकर भारतीय नृत्य के पारंपरिक रूपाकारों के साथ साहसिक शास्त्रीयता विकसित करना चाहते थे

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: उदय शंकर का नृत्य कम से कम तीन विश्वासों से प्रेरित नृत्य था: शास्त्रीयता में विश्वास, आधुनिकता में विश्वास और आत्मविश्वास. जिन कलाकारों ने भारतीय नृत्य में पश्चिमी रुचि जगाई उनमें उदय शंकर का नाम पहली पंक्ति में आता है.

भारत के विचार पर व्यापक और समावेशी विचार-विमर्श, संवाद की जगह कहां है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हमारी सभ्यता आरंभ से ही प्रश्नवाचक रही है और उसकी प्रश्नवाचकता-असहमति-वाद-विवाद, संवाद का भारत में पुनर्वास करने की ज़रूरत है. इस समय जो धार्मिक और बौद्धिक, राजनीतिक और बाज़ारू ठगी हमें दिग्भ्रमित कर रही है, उससे अलग कोई रास्ता कौन तलाश करेगा यह हमारे समय का एक यक्षप्रश्न है.

झारखंड के एक ब्लॉक में मौलवियों ने निकाह में नृत्य, संगीत, पटाखों पर पाबंदी लगाई

झारखंड के धनबाद ज़िले के सिबलिबाड़ी जामा मस्जिद के मुख्य मौलवी मौलाना मसूद अख़्तर ने कहा कि ये सभी पाबंदियां दो दिसंबर से प्रभावी होंगी. निकाह इस्लाम के हिसाब से होंगे और नाच-गाना, डीजे और पटाखे चलाना नहीं होगा. आदेश का उल्लंघन करने वालों पर 5,100 रुपये का जुर्माना लगेगा.

नृत्य आत्मा का उत्सव है: भरतनाट्यम नृत्यांगना गीता चंद्रन

वीडियो: कोरोना महामारी के चलते पूरी दुनिया दायरों में सिमटी हुई है. यदि ज़िंदगी में कलाएं हैं तो तनाव, उदासी, नाउम्मीदी के लिए कोई जगह नहीं बचती है. हाल ही में कोरोना वायरस को मात देने वाली भरतनाट्यम नृत्यांगना पद्मश्री गीता चंद्रन से दामिनी यादव की बातचीत.

लोक नाटकों के मंचन को राजद्रोह बताने वाला 140 साल पुराना क़ानून होगा रद्द

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पिछले तीन वर्षो के दौरान 1200 पुराने और अप्रचलित क़ानूनों को समाप्त कर चुकी है.