एक जनहित याचिका में चार्ल्स डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत और आइंस्टीन के विशेष सापेक्षता के सिद्धांत, जो द्रव्यमान और ऊर्जा (E=MC²) की समानता को व्यक्त करता है, को चुनौती दी गई थी. अदालत ने याचिका ख़ारिज करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि आप ख़ुद को फिर से शिक्षित करें.
विशेष: 1831 में बीगल जहाज ने अपनी यात्रा शुरू की और दुनिया का चक्कर लगाकर 1836 में इंग्लैंड वापस लौटा. इस जहाज के कप्तान रॉबर्ट फिट्ज़रॉय थे. जहाज से जुड़ा एक दिलचस्प पहलू यह भी था कि उस समय 22 वर्ष के चार्ल्स डार्विन इस यात्रा में जहाज पर रहने वाले नेचुरलिस्ट की भूमिका में थे.
भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह ने कहा, हमारी भारतीय संस्कृति यह मानती है कि हम ऋषियों की संतानें हैं. जो लोग यह कहते हैं कि वे बंदरों की औलाद हैं, मैं ऐसे लोगों की भावनाओं को भी ठेस नहीं पहुंचाना चाहता हूं.
पृथ्वी का जन्म लगभग 460 करोड़ साल पहले हुआ था और पृथ्वी पर जीवन का जन्म कम से कम 375 करोड़ साल पहले. अगर 460 करोड़ साल का यह प्रयोग दोहराया जाए, तो क्या हम मनुष्यों जैसे जीव धरती पर पाए जाएंगे या फिर जीवन की रचना की कहानी बिल्कुल अलग होगी?
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि मैं एक किताब लिख रहा हूं. जिसमें डार्विन सिद्धांत पर एक अध्याय होगा. हम साक्ष्य और दस्तावेजी प्रमाण देकर साबित करेंगे कि हम जो कह रहे हैं, वह सही है.
किसी भी देश या समाज का यह रवैया कि उसकी धार्मिक पुस्तक या मान्यताएं थियरी आॅफ एव्रीथिंग हैं और इनमें ही भूत, वर्तमान, भविष्य का सारा ज्ञान और विज्ञान निहित है, बहुत ही आत्मघाती है.
भारत में बंददिमागी एवं अतार्किकता को जिस किस्म की शह मिल रही है और असहमति की आवाज़ों को सुनियोजित ढंग से कुचला जा रहा है, उसे रोकने की ज़रूरत है ताकि संविधान को बचाया जा सके.
पिछले कुछ समय में कई जघन्य अपराधों में बच्चों के शामिल होने की घटनाएं सामने आई हैं.
बंदरों ने केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह की बात का स्वागत किया है कि डार्विन के सिद्धांत को स्कूल-कॉलेजों की किताबों से निकाल देना चाहिए.
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम में बदलाव की ज़रूरत. इंसान जब से पृथ्वी पर देखा गया है, हमेशा इंसान ही रहा है.