भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-इन) हैकिंग और फिशिंग जैसे साइबर सुरक्षा ख़तरों से निपटने का काम करती है. यह क़दम एप्पल के सिक्योरिटी नोटिफिकेशन और लगातार रिपोर्ट किए जा रहे नए डेटा उल्लंघनों एवं सुरक्षा संबंधी घटनाओं के बीच उठाया गया है. विशेषज्ञों ने कहा कि अब इस संगठन से पारदर्शिता की मांग करना और कठिन हो जाएगा.
एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि भारतीय कंपनियां लगभग आधे साइबर अटैक को रोकने में सक्षम नहीं हैं.
सरकार द्वारा कोविड-19 टीकाकरण की बुकिंग के लिए बनाए गए कोविन ऐप पर अपलोड की गई नागरिकों की निजी जानकारी टेलीग्राम ऐप पर डालने की खबर सामने आई है. विपक्षी दलों ने इसकी गहन जांच की मांग की, साथ ही कांग्रेस ने सरकार के संपूर्ण डेटा प्रबंधन तंत्र की न्यायिक जांच की मांग की.
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मलयाला मनोरमा की रिपोर्ट बताती है कि अगर किसी व्यक्ति का मोबाइल नंबर टेलीग्राम पर डाला जाता तो रिप्लाई बॉट (Reply bot) फ़ौरन उसके द्वारा कोविन ऐप पर दिए गए विवरण जैसे आधार, पासपोर्ट या पैन कार्ड की जानकारी मुहैया करा देता. साथ ही, इसमें व्यक्ति का जेंडर, जन्मतिथि और उन्होंने कहां वैक्सीन ली, यह जानकारी भी थी. केंद्र सरकार ने डेटा लीक से इनकार किया है.
वीडियो: राजस्थान के एक शख़्स- संजय सोनी ने महिलाओं के अंतर्वस्त्र बेचने वाली कंपनी 'ज़िवामी' से कथित तौर पर 15 लाख महिलाओं के निजी डेटा के लीक होने का दावा करते हुए कहा था कि वेबसाइट से केवल हिंदू महिलाओं का डेटा हैक कर मुस्लिमों से साझा किया गया. बाद में सोनी को ही डेटा हैकिंग आरोप में गिरफ़्तार किया गया. आरोप यह भी है कि उसने कंपनी को डेटा लीक करने की धमकी देकर पैसे ऐंठने का प्रयास भी
आरोग्य सेतु ऐप साल 2020 में अपनी लॉन्चिंग के साथ सवालों के घेरे में था. साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना था कि सरकार इस ऐप के ज़रिये नागरिकों की काफ़ी निजी जानकारी इकट्ठा करती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से निगरानी के लिए इस्तेमाल की जा सकती है. केंद्र सरकार ने इन चिंताओं को ख़ारिज कर दिया था.
भीमा-कोरेगांव हिंसा और एल्गार परिषद सम्मेलन के संबंध में साल 2018 से अब तक 15 अधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया गया है. इनके परिजनों ने कोविड-19 की दूसरी लहर को देखते हुए इनकी रिहाई की मांग करते हुए कहा है कि ये सभी लोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं और उनमें से एक कार्यकर्ता को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है.
भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन के कंप्यूटर से मिले पत्रों के आधार पर विल्सन समेत पंद्रह कार्यकर्ताओं पर विभिन्न गंभीर आरोप लगाए गए थे. इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों की जांच करने वाले अमेरिकी फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग का कहना है कि इन्हें एक साइबर हमले में विल्सन के लैपटॉप में डाला गया था.
वीडियो: भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपियों के वकील ने दावा किया है कि आरोपियों में से एक रोना विल्सन के लैपटॉप से बरामद कथित साजिश के मेल खुद उन्होंने नहीं लिखे थे बल्कि इन्हें प्लांट करवाया गया था. क्या है यह पूरा मामला, बता रहे हैं मुकुल सिंह चौहान.
एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन के कंप्यूटर से मिले पत्रों के आधार पर विल्सन समेत पंद्रह कार्यकर्ताओं पर विभिन्न गंभीर आरोप लगाए गए थे. अब मामले के इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों की जांच करने वाले अमेरिकी फर्म का कहना है कि इन्हें एक साइबर हमले में विल्सन के लैपटॉप में डाला गया था.
कुडनकुलम प्लांट में लगाई गई सेंध की जानकारी 28 अक्टूबर को तब सामने आई जब एक ऑनलाइन मालवेयर स्कैनिंग सर्विस वायरसटोटल डॉट कॉम पर प्लांट के डाटा को दिखाया गया.
इस विधेयक में बैंक में खाता खोलने, मोबाइल फोन का सिम लेने के लिए आधार को स्वैच्छिक बनाने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा निजी संस्थाओं द्वारा आधार डेटा का दुरुपयोग करने पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना और जेल का प्रावधान रखा गया है.
हैदराबाद की आईटी ग्रिड कंपनी पर 'सेवा मित्र' ऐप के ज़रिये अवैध रूप से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के 7.8 करोड़ आधार धारकों का डेटा इकट्ठा करने का आरोप है. इस ऐप को कथित तौर पर टीडीपी द्वारा इस्तेमाल किया जाता था. यूआईडीएआई की शिकायत के बाद एसआईटी करेगी जांच.
नीदरलैंड्स की डिजिटल सुरक्षा कंपनी गेमाल्टो ने अपनी उस रपट को वापस ले लिया है, जिसमें कहा गया था कि भारत डेटा सेंधमारी मामलों में इस साल की पहली छमाही में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर रहा है.