हरिद्वार ज़िले के पथरी थाना क्षेत्र का मामला है, जहां बीते सप्ताह पंचायत चुनाव मे प्रधान पद की महिला प्रत्याशी के पति ने शराब बांटी थी, जिसे पीने के बाद कई ग्रामीणों की मौत हो गई. मामले में पथरी थानाध्यक्ष सहित तीन पुलिसकर्मियों और आबकारी निरीक्षक समेत आबकारी विभाग के नौ कर्मियों को निलंबित किया गया है.
गणेशोत्सव के समापन पर प्रतिमा विसर्जन के दौरान महाराष्ट्र में हुई विभिन्न घटनाओं में 20, हरियाणा में 6, उत्तर प्रदेश में 3 और तेलंगाना में एक व्यक्ति की मौत हुई है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2020 में यातायात संबंधी दुर्घटनाओं की संख्या 3,68,828 रही, जो 2021 में बढ़कर 4,22,659 हो गई. इन यातायात दुर्घटनाओं में 2021 के दौरान 3,73,884 लोग घायल हुए और 1,73,860 लोगों की मौत हो गई. उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 24,711 लोगों की मौत हुई.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बयान के अनुसार, दोनों मौत असम के हैलाकांडी ज़िले में हुई हैं. राज्य में सोमवार को जापानी इंसेफलाइटिस के 14 नए मामले दर्ज किए, जिससे इस महीने इस बीमारी से ग्रस्त लोगों की संख्या 266 हो गई.
‘द लांसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल’ में प्रकाशित एक नए अध्ययन में साल 2019 में भारत में सभी प्रकार के प्रदूषण के कारण 23.5 लाख से अधिक मौतें समय से पहले हुई हैं, जिसमें वायु प्रदूषण के कारण 16.7 लाख मौतें शामिल हैं. वैश्विक स्तर पर हर साल होने वाली 90 लाख मौतों के लिए सभी प्रकार का प्रदूषण ज़िम्मेदार है.
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती पवार ने संसद में बताया कि कोविड-19 के कारण देश में अब तक कुल 5,21,358 लोगों की मौत हुई है, जबकि केंद्र सरकार के अनुरोध पर 20 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा भेजे गए जवाब में किसी ने भी अपने यहां ऑक्सीजन की कमी के चलते मौत होने की पुष्टि नहीं की है.
राज्यसभा में सवाल किया गया था कि पिछले एक साल में ऑक्सीजन की कमी के कारण कितनी मौतें हुईं. इस पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा कि भारत सरकार राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा सूचित कुल मामलों और मृत्यु के आंकड़े रखती है. केंद्र को भेजे जवाब में किसी ने ऑक्सीजन की कमी के चलते किसी मृत्यु की सूचना नहीं दी है.
केंद्र की मोदी सरकार ने भी बीते जुलाई महीने में संसद को बताया था कि राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों ने ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी भी मौत की विशेष रूप से रिपोर्ट नहीं की है. हालांकि एक महीने बाद अगस्त में पहली बार केंद्र ने स्वीकार किया था कि ऑक्सीजन की कमी से कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज़ों की मौत हुई है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने लोकसभा में बताया कि केंद्र ने कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से ऑक्सीजन की कमी के चलते कोविड रोगियों की मृत्यु के आंकड़े मांगे थे, जहां केवल पंजाब तथा अरुणाचल प्रदेश ने केंद्र को जवाब भेजा है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून के कारण विषम मौसम की घटनाओं में पिछले तीन महीने में देशभर में कम से कम 435 लोगों की मौत हो गई. इनमें आकाशीय बिजली गिरने से जान गंवाने वाले 240 लोग शामिल हैं. यह संख्या कुल हताहतों का 50 फीसदी से अधिक है. इन घटनाओं में हुई मौतों में से एक तिहाई मौत महाराष्ट्र में हुई.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2005 के बाद पहली बार अपने नए वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा है कि हर साल वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से 70 लाख लोगों की अकाल मृत्यु होने और लाखों लोगों के स्वास्थ्य के प्रभावित होने का अनुमान है.
ये मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर ज़िले के कुरसौली गांव का है. ज़िले के अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि उन्हें अभी तक मौतों के सही कारण का पता नहीं चल पाया है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों की मृत्यु हुई है, उनमें से अधिकांश का डेंगू या मलेरिया का टेस्ट नहीं किया गया था, जबकि डेंगू पॉजिटिव आने वाले सभी लोग ठीक हो गए हैं. जांच में मलेरिया के एक भी मामले नहीं पाए गए.
झारखंड में कथित तौर पर भूख से मौत के मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य के सुदूरवर्ती इलाके में आज भी लोग आदिम युग में जी रहे हैं. राशन लेने के लिए उन्हें आठ किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है. इन्हें स्वास्थ्य की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. पीने का शुद्ध पानी भी मयस्सर नहीं हो रहा है. जंगलों में रहने वाले इन लोगों की ज़मीन से ही सरकार खनिज निकाल रही है और ये लोग
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुईं मौतों की जांच के लिए कमेटी बनाने का प्रस्ताव फिर से नामंज़ूर कर दिया है. हालांकि, उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने उपमुख्यमंत्री के बयान को भ्रामक बताते हुए कहा कि मामले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन पहले ही किया जा चुका है.
केंद्र सरकार ने कहा है कि आंध्र प्रदेश को छोड़कर किसी भी राज्य ने विशेष रूप से ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी के कारण कोविड-19 मरीज़ों की मौत की सूचना नहीं दी है. इससे पहले केंद्र सरकार ने राज्यसभा में कहा था कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश से ऑक्सीजन के अभाव में किसी भी मरीज़ की मौत की ख़बर नहीं मिली है.