बीते 20 जुलाई को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से राज्यसभा में कहा गया कि कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की अप्रत्याशित मांग के बावजूद किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश में इसके अभाव में किसी व्यक्ति के मरने की उसे जानकारी नहीं है. उसके पास इस बात की जानकारी भी नहीं है कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलित किसानों में से अब तक कितने अपनी जान गंवा चुके हैं.
केंद्र सरकार ने राज्यसभा में कहा है कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों की मौत की कोई ख़बर नहीं है. छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि केंद्र ने इन मौतों की जानकारी कभी नहीं मांगी और ऐसे बयान से देश को गुमराह किया है.
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के बैठक में नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने दिल्ली सरकार से कहा है कि अनलॉक करने की गतिविधियों से कोविड मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है. हालांकि फिलहाल संक्रमण दर सबसे कम है. वहीं, आईसीएमआर के डॉ. समीरन पांडा ने कहा कि कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर के प्रभाव को कम करने के लिए टीकाकरण के प्रयास तेज़ किए जाने चाहिए.
राज्यसभा में केंद्र की मोदी सरकार की ओर से बताया गया है कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में क्सीजन की कमी के कारण लोगों की मौत की कोई ख़बर नहीं है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा है कि केंद्र सरकार ने इस तरह की मौतों को लेकर कोई आंकड़ा नहीं मांगा था. दिल्ली सरकार ने इस तरह की मौतों का पता लगाने के लिए एक समिति का गठन किया था,
राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने बताया कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश नियमित तौर पर कोरोना के मामले और मौत की संख्या के बारे में केंद्र सरकार को सूचित करते हैं, लेकिन राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने ऐसी कोई सूचना नहीं दी.
देश के शीर्ष मौसम वैज्ञानिकों द्वारा प्रकाशित शोध पत्र में कहा गया है कि लू अति प्रतिकूल मौसमी घटनाओं में से एक है. अध्ययन के मुताबिक, 1971-2019 में ऐसी ने 141,308 लोगों की जान ली है. इनमें से 17,362 लोगों की मौत लू की वजह से हुई है. लू से अधिकतर मौत आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा में हुईं.
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान हमारी स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्गति उजागर हो गई. ग़रीब, वंचित और आम आदमी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएं, इसके लिए स्वास्थ्य तंत्र को मज़बूत बनाना होगा. इसी नाते सरकार से मांग की है कि स्वास्थ्य को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिया जाए. यह समय की ज़रूरत है.
हाल ही में आरटीआई आवेदन के जवाब में रेलवे ने बताया था कि साल 2020 में रेल की पटरियों पर 8,733 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से अधिकतर प्रवासी मज़दूर थे. रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सुनीत शर्मा ने कहा है कि ये मौतें अतिक्रमण के कारण हुई हैं न कि रेल हादसों की वजह से. इनका रेलवे से कुछ लेना-देना नहीं है.
साल 2020 में 8,000 से अधिक लोगों की रेल पटरियों पर जान गई, इनमें ज़्यादातर प्रवासी मज़दूर थे: आरटीआई
आरटीआई आवेदन के जवाब में दी गई जानकारी में अधिकारियों ने बताया कि मृतकों में अधिकतर प्रवासी मज़दूर थे, जिन्होंने पटरियों पर चलकर घर पहुंचने का विकल्प चुना था, क्योंकि इससे वे लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन के लिए पुलिस से बच सकते थे और उनका यह भी मानना था कि वे रास्ता नहीं भटकेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को चक्रवात ‘यास’ से प्रभावित ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड के लिए 1,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की है. इसी माह के मध्य में पश्चिमी तट ने चक्रवात ताउते का प्रकोप झेला. ताउते अति भयंकर चक्रवाती तूफान के रूप में गुजरात तट से टकराया और उसने कई राज्यों में तबाही मचाई और क़रीब 50 लोगों की जान चली गई थी.
अति प्रतिकूल मौसम संबंधी घटनाओं पर एक अध्ययन में कहा गया है कि उष्ण कटिबंधीय तूफ़ानों की वजह से मौतों में इस सदी के पहले दशक (2000-09) की तुलना में बाद वाले दशक (2010-19) में करीब 88 फीसद गिरावट आई है. यह शोध-पत्र इस साल के प्रारंभ में प्रकाशित हुआ, जिसे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव और अन्य वैज्ञानिकों ने तैयार किया है.
मध्य प्रदेश भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने अपने शिकायती ज्ञापन में कहा है कि कमलनाथ ने 22 मई को कहा था कि दुनिया में जो कोरोना फैला हुआ है, अब उसे ‘इंडियन वैरिएंट’ कोरोना के नाम से जाना जा रहा है. वह जनता को भ्रमित और देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम कर रहे हैं. उन्होंने झूठा आरोप लगाया कि सरकार लाखों लोगों की मौत का आंकड़ा छिपा रही है. यह बयान जनता में भय उत्पन्न करने वाला है.
इस 11 दिन के ख़ूनी संघर्ष में ग़ाज़ा पट्टी में बड़े पैमाने पर बर्बादी हुई, इज़रायल के अधिकांश हिस्सों में जीवन थम गया था और दोनों तरफ के 200 से अधिक लोगों की जानें गईं. 19 मई तक इस संघर्ष में 208 फ़लस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जिनमें क़रीब 60 बच्चे शामिल हैं. वहीं इज़रायल में भी दो बच्चों सहित 12 लोगों की जान गई है.
रविवार को इजरायल ने गाजा में पिछले एक हफ़्ते में सबसे घातक हमला किया, जिसमें आठ बच्चों सहित 26 फ़लस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई. इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शनिवार शाम को कहा कि जब तक ज़रूरत पड़ेगी तब तक यह अभियान जारी रहेगा.
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में एकजुट और सकारात्मक बने रहने की अपील करते हुए कहा कि हम इस परिस्थिति का सामना कर रहे हैं क्योंकि सरकार, प्रशासन और जनता, सभी कोविड की पहली लहर के बाद ग़फ़लत में आ गए, जबकि डॉक्टरों द्वारा संकेत दिए जा रहे थे.