हाल ही में सामने आए एक वायरल वीडियो में दिल्ली पुलिस के सब-इंस्पेक्टर मनोज तोमर को शहर के इंद्रलोक इलाके में मक्की जामा मस्जिद के पास नमाज पढ़ने वालों को लात मारते देखा गया था. इस घटना से उपजे आक्रोश के बीच उन्हें निलंबित कर दिया गया था.
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने यह भी कहा कि एम्स निदेशक द्वारा नियुक्त बोर्ड जेल रिकॉर्ड और याचिकाकर्ता प्रबीर पुरकायस्थ की पूरी मेडिकल हिस्ट्री पर भी विचार करेगा.
वीडियो: छात्र कार्यकर्ता उमर ख़ालिद ने दिल्ली दंगों से जुड़ी साज़िश के मामले में बीते 14 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली. सितंबर 2020 को गिरफ़्तार होने के बाद से वह जेल में हैं. इस विषय पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता एसक्यूआर इलियास से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
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आईआईटी से पढ़कर जेएनयू से पीएचडी कर रहे शरजील इमाम जनवरी 2020 से जेल में हैं. उनके भाई का कहना है कि शरजील को नागरिक समाज समूहों और प्रमुख राजनीतिक एक्टिविस्ट से सहयोग नहीं मिला है.
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16 नवंबर 2023 को प्रकाशित रॉयटर्स की एक विशेष रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दिल्ली की कंपनी एपिन ने कथित तौर पर नेताओं, अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों, प्रमुख वकीलों और अन्य का डेटा चुराया है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन सिंह राजावत ने निचली अदालत के आदेश को बरक़रार रखते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें दिल्ली पुलिस को द वायर के कर्मचारियों से ज़ब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को वापस करने के लिए कहा गया था. भाजपा के एक नेता द्वारा द वायर के ख़िलाफ़ शिकायत के बाद अक्टूबर 2022 में पुलिस ने इन उपकरणों को ज़ब्त किया था.
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सरकार जिस उमर ख़ालिद उनके मज़हब तक सीमित कर देना चाहती है, पर वो एक गंभीर शोधार्थी हैं, जिनकी पीएचडी का विषय सिंहभूम का आदिवासी समाज हैं. उनकी थीसिस में लिखा गया हर शब्द एक ऐसे शख़्स को हमारे सामने लाता है, जो बेहद गहराई से लोकतंत्र और इसके अभ्यासों के साथ जिरह कर रहा है.
2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले में तीन लोगों को बरी करते हुए दिल्ली की एक अदालत ने यह संदेह ज़ाहिर किया है कि दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी ने 'सबूतों में हेरफेर' की और 'पूर्व निर्धारित और मशीनी तरीके' से चार्जशीट दाखिल की.
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दिल्ली की एक अदालत ने छत्तीसगढ़ में कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितता से संबंधित एक मामले में पूर्व राज्यसभा सदस्य विजय दर्डा, उनके बेटे देवेंद्र दर्डा, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और चार अन्य को दोषी ठहराया है. इस घोटाले को ‘कोलगेट’ क़रार दिया गया था.