घटना 26 जनवरी को कस्तूरबा नगर इलाके में हुई, जहां कथित गैंगरेप के बाद पीड़िता के बाल काटकर, चेहरे पर कालिख पोतकर और जूतों की माला पहनाकर सड़क पर घुमाया गया. मामले के 11 आरोपियों में से नौ को गिरफ़्तार किया गया है, जिसमें एक परिवार की सात महिलाएं शामिल हैं.
साल 2013 में दिल्ली के गांधी नगर इलाके में दो लोगों ने पांच साल की बच्ची से बलात्कार किया था. अदालत ने कहा कि इस घटना ने समाज की सामूहिक चेतना को झकझोर डाला. पांच साल की बच्ची को काफी अनैतिकता और अति क्रूरता का सामना करना पड़ा.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को निर्देश दिया कि मृत और मानसिक रूप से अस्वस्थ पीड़ितों की पहचान किसी भी तरह से उजागर नहीं की जा सकती है, चाहे इसमें माता-पिता की सहमति ही क्यों न हों. कोर्ट ने समाचार चैनलों से ऐसे मुद्दे को टीआरपी के लिए सनसनी बनाने से बचने को कहा.
सामूहिक बलात्कार की घटना की पीड़िता ज्योति सिंह (निर्भया) की मां ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा दोषियों को मौत की सजा देने से वह संतुष्ट हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चारों दोषियों को रियायत नहीं दी जा सकती. यह एक जघन्य अपराध था.