अनलॉक-4 के तहत गृह मंत्रालय ने हाल ही देश में चरणबद्ध तरीके से मेट्रो सेवाएं बहाल करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे. जिसके तहत सोमवार को कड़े सुरक्षा नियमों के साथ दिल्ली, लखनऊ, कोच्चि, चेन्नई, हैदराबाद और बेंगलुरु में मेट्रो सेवाएं बहाल कर दी गई है.
दिल्ली मेट्रो रेल निगम में क़रीब 14,500 कर्मचारी हैं. मंगलवार को जारी आदेश में कहा गया है कि मेट्रो सेवाओं का परिचालन न होने की वजह से पैदा हुई गंभीर वित्तीय स्थिति के मद्देनज़र यह क़दम उठाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की यह ज़िम्मेदारी है कि वह दिल्ली मेट्रो रेल निगम की वित्तीय स्थिति ठीक रखे और ऐसा कोई कदम नहीं उठाए जिसकी वजह से उसे घाटा उठाना पड़े. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जून महीने में मेट्रो और बस में महिलाओं को मुफ्त यात्रा सुविधा देने की घोषणा की थी.
दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने अदालत को बताया कि वह अपनी सेवाओं पर प्रतिक्रियाओं के लिए यात्रियों से नियमित रूप से बातचीत करती है और किसी ने भी पेयजल के अभाव के बारे में शिकायत नहीं की है.
दिल्ली हाईकोर्ट से याचिकाकर्ता ने कहा कि अन्य शहरों की मेट्रो सेवाएं यात्रियों को मुफ्त पेयजल मुहैया कराती हैं, लेकिन दिल्ली मेट्रो ऐसा नहीं करती है, जबकि वह उन सभी परियोजनाओं में सलाहकार है.