वीडियो: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में पिछले एक महीने से नई दिल्ली के शाहीन बाग़ में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कश्मीरी पंडितों के साथ भी प्रदर्शन किया. इस मुद्दे पर लेखक बद्री रैना से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने बात की.
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के आदेशानुसार 19 जनवरी से 18 अप्रैल 2020 तक दिल्ली पुलिस कमिश्नर को यह अधिकार है कि वे किसी भी व्यक्ति जिसे वे राष्ट्रीय सुरक्षा व क़ानून व्यवस्था के लिए ख़तरा मानते हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत हिरासत में ले सकते हैं.
वीडियो: नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के खिलाफ पूर्वी दिल्ली के खुरेजी में महिलाएं पिछले कुछ दिनों से प्रदर्शन कर रही हैं. इन महिलाओं का आरोप है कि 14 जनवरी की देर रात करीब दो बजे दिल्ली पुलिस ने उन्हें वहां से हटाने की कोशिश की, उनके टेंट को उखाड़ दिया और उन्हें धमकाया. इन महिलाओं से संतोषी मरकाम की बातचीत.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1984 के दंगों संबंधी मामलों की जांच के लिए बनाए गए विशेष जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि तत्कालीन केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस ने दंगों के दौरान दंगाइयों पर हत्या, आगजनी और हिंसा के मामले दर्ज करने की कोशिश नहीं की, साथ ही आपराधिक मामलों को छिपाने का प्रयास भी किया.
वीडियो: दिल्ली के शाहीन बाग़ में नागरिकता संशोधन क़ानून और एनसीआर के ख़िलाफ़ धरना दे कर रहीं महिलाओं के साथ द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी से बातचीत की.
जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रवक्ता अहमद अज़ीम ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत निचली अदालत में बहुत जल्दी एक याचिका दायर की जाएगी जिसमें प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पुलिस को निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया जाएगा.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की दिल्ली इकाई के सचिव सिद्धार्थ यादव ने स्वीकार किया कि कोमल शर्मा उनके संगठन की कार्यकर्ता हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि हमारा उनसे संपर्क नहीं हो पाया है.
साक्षात्कार: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पांच जनवरी को नकाबपोश हमलावरों द्वारा की गई हिंसा में 30 से अधिक छात्र घायल हुए थे, साथ ही कई शिक्षक भी चोटिल हुए थे. इनमें से एक प्रोफेसर सुचारिता सेन थीं. जेएनयू के इस घटनाक्रम पर सुचारिता सेन से रीतू तोमर की बातचीत.
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियल निशंक ने कहा कि मंत्रालय ने सभी हितधारकों के साथ बातचीत के ज़रिये जेएनयू के सामान्य कामकाज को बहाल करने की उच्चस्तरीय समिति गठित की है और विवादास्पद मुद्दों के समाधान के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को सलाह दी है.
प्रोफेसर भादुड़ी ने वीसी को पत्र लिखकर कहा, 'मौजूदा माहौल को देखकर मुझे काफी पीड़ा होती है. लेकिन मुझे लगता है कि बिना विरोध दर्ज कराए इस पूरे घटनाक्रम का मूक दर्शक बने रहना मेरे लिए अनैतिक होगा. विश्वविद्यालय में विरोध और विमर्श का गला घोटा जा रहा है.'
पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि हिंसा का सीसीटीवी फुटेज संरक्षित रखने के उसके अनुरोध पर जेएनयू प्रशासन की ओर से अब तक कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है. वहीं, उसने व्हाट्सऐप को भी लिखित अनुरोध भेजकर उन दो ग्रुप का डेटा सुरक्षित रखने को कहा है जिन पर जेएनयू में हिंसा की साज़िश रची गई थी.
फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने पांच जनवरी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में की गई हिंसा की पहचान निशाना बनाकर किए गए हमले के रूप में की है, जिसका उद्देश्य छात्रों और फैकल्टी के सदस्यों डराना और धमकाना था. इसके साथ ही यह संस्थान के कुलपति के समर्थन और प्रोत्साहन के साथ किया गया था.
शुक्रवार को सोशल मीडिया जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष ओईशी घोष की दो तस्वीरों को यह कहकर साझा किया गया कि अलग-अलग समय पर उनके हाथ में बंधी पट्टी एक बार दाहिनी तरफ और एक समय बायीं ओर बंधी है और उनकी चोट फ़र्ज़ी है. ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा झूठा पाया गया है.
शिक्षण संस्थानों का जब-जब राजनीतिकरण होगा, उसकी परिणति अक्सर हिंसा के रूप में ही होती है. जेएनयू को लेकर हुए विवाद में आज देश दो धड़े में विभाजित है और यह विभाजन धार्मिक या जातीय नहीं बल्कि वैचारिक है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दिल्ली पुलिस की एसआईटी के प्रमुख पुलिस उपायुक्त जॉय टिर्की ने कहा कि नौ में सात छात्र लेफ्ट संगठनों एसएफआई, एआईएसएफ, आईसा और डीएसएफ से जुड़े हुए हैं. हालांकि, इस दौरान दो अन्य छात्रों के एबीवीपी से जुड़े होने के बावजूद उन्होंने एबीवीपी का जिक्र नहीं किया.