द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
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2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले में तीन लोगों को बरी करते हुए दिल्ली की एक अदालत ने यह संदेह ज़ाहिर किया है कि दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी ने 'सबूतों में हेरफेर' की और 'पूर्व निर्धारित और मशीनी तरीके' से चार्जशीट दाखिल की.
वीडियो: जेएनयू के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद ने वर्ष 2020 में उत्तर-पूर्व दिल्ली में भड़के दंगों से जुड़े एक मामले में जेल में 1,000 दिन पूरे कर लिए हैं. बीते दिनों उनकी रिहाई की मांग और उनके समर्थन में हुई एक सभा में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने अपने विचार रखे.
वर्ष 2020 की शुरुआत में पूर्वोत्तर दिल्ली के जाफ़राबाद में हुए दंगों के दौरान हुई झड़पों में कथित संलिप्तता के लिए दिल्ली पुलिस ने तीन साल पहले 9 अप्रैल को गुलफ़िशा फ़ातिमा को गिरफ़्तार किया था. 13 मई 2020 को जब मामले में उन्हें ज़मानत मिल गई तो उन पर एक नई एफआईआर दर्ज कर ली गई.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: विनोद जी की आधुनिकता रोज़मर्रा के निम्न-मध्यवर्गीय जीवन में रसी-बसी रही है. उनके यहां जो स्थानीयता आकार पाती है वह मानवीय उपस्थिति, मानवीय विडंबना और मानवीय ऊष्मा की एक त्रयी को चरितार्थ, उत्कट और सघन करती है.
सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट के पूर्व जज वाली फैक्ट-फाइंडिंग समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गृह मंत्रालय की लापरवाह प्रतिक्रिया, हिंसा में दिल्ली पुलिस की मिलीभगत, मीडिया की विभाजनकारी रिपोर्टिंग और सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ भाजपा का घृणा अभियान दिल्ली दंगों के लिए ज़िम्मेदार थे.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता उमर ख़ालिद के आवेदन पर नोटिस जारी कर तिहाड़ जेल के अधीक्षक से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी. उमर उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगा मामले में सितंबर 2020 से जेल में बंद हैं.
तीन वर्ष पहले 2020 में उत्तर-पूर्व दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़के थे, जिनमें 53 लोगों की मौत हो गई थी. अब राष्ट्रीय राजधानी के उसी हिस्से के ब्रह्मपुरी इलाके में ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं, जिन पर लिखा है कि सभी हिंदू मकान मालिकों को सूचित किया जाता है कि कोई भी अपना मकान मुसलमानों को नहीं बेचेगा. बेचा तो उसकी रजिस्ट्री नहीं होने दी जाएगी.
दिल्ली दंगों संबंधी मामले में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार उमर ख़ालिद ने अपनी बहन की शादी के मद्देनज़र दो सप्ताह की अंतरिम ज़मानत मांगी थी. अदालत ने उन्हें 23 से 30 दिसंबर की अवधि के लिए ज़मानत देते हुए कहा कि वे इसके विस्तार की मांग न करें.
साल 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के बाद से 2022 के एमसीडी चुनाव इस क्षेत्र में होने वाले पहले बड़े चुनाव थे. चुनाव में दक्षिण दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में दो वार्ड में कांग्रेस की महिला प्रत्याशियों को जीत मिली है.
उत्तर-पूर्व दिल्ली में साल 2020 के दंगों से जुड़े एक मामले में दिल्ली की एक अदालत ने बीते तीन दिसंबर को कार्यकर्ता उमर ख़ालिद और ख़ालिद सैफ़ी को आरोपमुक्त कर दिया था.
मामले में बरी किए जाने के बावजूद कार्यकर्ता उमर ख़ालिद और ख़ालिद सैफ़ी जेल में अभी रहेंगे, क्योंकि उन पर दंगों से संबंधित एक अन्य मामले में ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए हैं. दोनों दो साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं. उमर को सितंबर 2020 और सैफ़ी को फरवरी 2020 में गिरफ़्तार किया गया था.
दिल्ली दंगों संबंधी मामले में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार उमर ख़ालिद ने अपनी बहन की शादी के मद्देनज़र दो सप्ताह की अंतरिम ज़मानत के लिए दिल्ली की एक अदालत में अर्ज़ी दायर की है. पुलिस ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि उनकी रिहाई से ‘समाज में अशांति’ पैदा हो सकती है.
दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में संबंधित गवाहों को तलब न करने को लेकर दिल्ली पुलिस को सचेत होने की ‘अंतिम चेतावनी’ देते हुए कहा कि पूर्व में कई बार निर्देश देने के बावजूद ऐसा नहीं किया गया है.