दिल्ली दंगे की चार्जशीट किसी वेब सीरीज की पटकथा जैसी: उमर ख़ालिद के वकील

जेएनयू के पूर्व छात्र और कार्यकर्ता उमर ख़ालिद के वकील का कहना है कि दिल्ली दंगे को लेकर दायर चार्जशीट में ख़ालिद को सांप्रदायिक दिखाने की कोशिश की गई, लेकिन जिस पुलिस अधिकारी ने यह रिपोर्ट तैयार की है, उनका दिमाग ही सांप्रदायिक है. ख़ालिद को फरवरी 2020 में हुए दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है.

रोज़ डरती, ख़ुद से लड़ती फिर जीतती हुई एक इंक़लाबी की मां…

लगभग साल भर से दिल्ली दंगों से संबंधित मामले में जेल में बंद उमर ख़ालिद की मां कहती हैं कि उसे बाहर आने पर हिंदुस्तान छोड़ देना चाहिए, लेकिन कुछ पलों बाद वो बदल-सी जाती हैं.

दिल्ली दंगों के अधिकतर मामलों में जांच का मापदंड बहुत घटिया है: अदालत

दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा कि पुलिस आधे-अधूरे आरोप-पत्र दायर करने के बाद जांच को तार्किक परिणति तक ले जाने की बमुश्किल ही परवाह करती है, जिस वजह से कई आरोपों में नामज़द आरोपी सलाखों के पीछे बने हुए हैं. ज़्यादातर मामलों में जांच अधिकारी अदालत में पेश नहीं नहीं हो रहे हैं.

दिल्ली दंगा: घायल युवकों को राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर करने वाले तीन पुलिसकर्मियों की पहचान

पिछले साल दंगों के दौरान एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें घायल अवस्था में पांच युवक ज़मीन पर पड़े हुए नज़र आते हैं. कम से कम सात पुलिसकर्मी युवकों को घेरकर राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर करने के अलावा उन्हें लाठियों से पीटते हुए नज़र आते हैं. इनमें से एक युवक की मौत हो गई थी, जिसकी पहचान 23 साल के फ़ैज़ान के रूप में होती है. उनकी मां का कहना था कि पुलिस कस्टडी में बेरहमी से पीटे जाने

हमें ज़ख़्म देकर भी सरकार हमारा हौसला तोड़ने में नाकामयाब रही…

सरकार को सवाल पूछने, अधिकारों की बात करने और उसके लिए संघर्ष करने वाले हर इंसान से डर लगता है. इसलिए वो मौक़ा देखते ही हमें फ़र्ज़ी आरोपों में फंसाकर जेलों में डाल देती है.

गृह मंत्रालय ने दिल्ली में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार लोगों के नाम बताने से क्यों इनकार किया

बीते दिनों लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद रॉय ने 'सार्वजनिक हित' का हवाला देते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज यूएपीए मामलों की जानकारी देने से मना कर दिया. हैरानी की बात यह है कि इस बारे में सारी जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है. यह भी गौर करने योग्य है कि दिल्ली में इस कड़े क़ानून के तहत गिरफ़्तार 34 लोगों में अधिकांश धार्मिक अल्पसंख्यक हैं.

दिल्ली दंगों में आरोपी एक व्यक्ति को पुरानी रंजिश के चलते उसके पड़ोसी ने फंसाया: पुलिस

उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगों के दौरान बम बनाने और आपूर्ति करने के आरोप में 46 वर्षीय कर्दमपुरी निवासी अंसार ख़ान को गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस ने बताया कि उनके घर की छत से जो पाइप बम बरामद किए गए थे, वास्तव में उन्हें उनके पड़ोसी ने रखा था. इस मामले में पड़ोसी मुजम्मिल अल्वी के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया.

दिल्ली दंगा: पुलिस ने अदालत को बताया- जांच का विवरण मीडिया को कैसे मिला, इसका पता नहीं चला

दिल्ली दंगा मामले में आरोपी जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ़ इक़बाल तन्हा ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि संबंधित अदालत द्वारा संज्ञान लेने से पहले ही जांच एजेंसी द्वारा दर्ज उनके बयान को कथित रूप से मीडिया में लीक करके पुलिस अधिकारियों ने कदाचार किया है.

दिल्ली दंगा: मुस्लिम युवक की हत्या मामले में सात लोगों के ख़िलाफ़ आरोप तय

25 फरवरी 2020 को 18 वर्षीय मोनिस अपने पिता से मिलकर और मिठाइयां लेकर घर वापस लौट रहा था कि तभी दंगे भड़क गए. जब वह दिल्ली के यमुना बस स्टैंड पर उतरा तो उसने दंगों को भड़कते देखा. उग्र भीड़ ने उसके मुस्लिम होने का पता चलने के बाद लाठी-डंडों और पत्थरों से पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी.

यूपी: धर्मांतरण के शक़ में बहिष्कार झेल रहे युवक ने शुरू की सुप्रीम कोर्ट तक पैदल यात्रा

उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण कर चुके लोगों की एक कथित सूची लीक हुई थी, जिसमें अब्दुल समद नाम के शख़्स के साथ सहारनपुर के प्रवीण कुमार की तस्वीर लगी थी और अन्य जानकारियां भी उन्हीं की थीं. प्रवीण ने धर्मांतरण से इनकार किया है लेकिन पुलिस से क्लीन चिट मिलने के बाद भी गांव में उनका सामाजिक तौर पर बहिष्कार कर दिया गया है.

दिल्ली दंगा: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ज़मानत मामलों में क़ानून के प्रावधानों पर बहस नहीं होनी चाहिए

दिल्ली दंगों संबंधी मामले में तीन छात्र कार्यकर्ताओं की ज़मानत रद्द करने की दिल्ली पुलिस की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने इशारा किया है कि वह इस पहलू पर विचार करने को तैयार नहीं है.

दिल्ली सरकार ने ट्रैक्टर रैली हिंसा मामले में अभियोजक नियुक्ति पर पुलिस का अनुरोध ख़ारिज किया

दिल्ली सरकार द्वारा जारी बयान के अनुसार, बीते 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा और पिछले साल उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े मामलों में दिल्ली पुलिस के वकीलों की नियुक्ति करने संबंधी उपराज्यपाल अनिल बैजल की सिफ़ारिश को मंत्रिमंडल ने ख़ारिज कर दिया है. बताया जा रहा है कि इस क़दम से केंद्र और उपराज्यपाल के साथ दिल्ली सरकार का टकराव बढ़ सकता है.

क्यों डराते हो ज़िंदां की दीवार से…

किसी भी आम नागरिक के लिए जेल एक ख़ौफ़नाक जगह है, पर देवांगना, नताशा और आसिफ़ ने बहुत मज़बूती और हौसले से जेल के अंदर एक साल काटा. उनके अनुभव आज़ादी के संघर्ष के सिपाहियों- नेहरू और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जेल वृतांतों की याद दिलाते हैं.

दिल्ली दंगाः हाईकोर्ट ने छात्र कार्यकर्ता गुलफ़िशा फ़ातिमा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका ख़ारिज की

दिल्ली दंगों संबंधी मामले में आरोपी छात्र कार्यकर्ता गुलफ़िशा फ़ातिमा ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कहा था कि उन्हें हिरासत में रखना ग़ैर क़ानूनी है, जिस पर अदालत ने कहा कि वे न्यायिक हिरासत में है और इसे अवैध नहीं कहा जा सकता.

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