केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क में की गई इस बढ़ोतरी के बाद लोगों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की घटी कीमतों का कोई भी फायदा नहीं मिल पाएगा. दो महीने से कम की अवधि में यह दूसरी बार उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया है.
असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि हमें हर महीने रॉयल्टी से 166 करोड़ रुपये की प्राप्ति होती रही है लेकिन अब यह राशि 50 करोड़ रुपये रह जाने का अनुमान है, इसलिये ईंधन के दाम बढ़ाकर हम अपने राजस्व को बचाए रखने का प्रयास कर रहे हैं.
कांग्रेस ने पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाए जाने के प्रस्ताव को लेकर आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार लोगों की तकलीफ का फायदा उठा रही है, जो कि बहुत अमानवीय है. लोगों की जीविका खत्म हो रही है और नौकरियां जा रही है. ऐसे में भाजपा सरकार मुनाफा कमा रही है.
कांग्रेस ने कहा है कि सरकार ने लोगों को फायदा देने की बजाय पेट्रोल और डीज़ल पर उत्पाद शुल्क तीन रुपये बढ़ा दिया. इसका सबसे ज़्यादा नुकसान आम लोगों, किसानों और ट्रांसपोर्टर हो होगा. इससे महंगाई बढ़ेगी.
पेट्रोल और डीजल के संशोधित मूल्य शनिवार को प्रभावी हो गए. दिल्ली में पेट्रोल का दाम 2.45 रुपये लीटर बढ़कर 72.96 रुपये लीटर हो गया, जबकि मुंबई में यह वृद्धि 2.42 रुपये लीटर बढ़कर 78.57 रुपये प्रति लीटर रही.
रविवार को पेट्रोल 32 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी के साथ 81.82 रुपये लीटर पर पहुंच गया. वहीं डीजल 58 पैसे चढ़ कर 73.53 रुपये प्रति लीटर पर आ गया.
जन गण मन की बात की 312वीं कड़ी में विनोद दुआ केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटाने और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 304वीं कड़ी में विनोद दुआ पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और उस पर मोदी सरकार की प्रतिक्रिया पर चर्चा कर रहे हैं.
यूपीए ने 2005-06 से 2013-14 के बीच जितना पेट्रोल-डीज़ल की एक्साइज़ ड्यूटी से नहीं वसूला उससे करीब तीन लाख करोड़ रुपये ज़्यादा उत्पाद शुल्क एनडीए ने चार साल में वसूला है.
पेट्रोल की क़ीमत रिकॉर्ड स्तर पर है, फिर भी आप मीडिया में इसकी ख़बरों को देखिए तो लगेगा कि कोई बात ही नहीं है. यही दाम अगर सरकार एक रुपया सस्ता कर दे तो गोदी मीडिया पहले पन्ने पर छापेगा.
2017 को एक ऐसे साल के तौर पर याद किया जाएगा, जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था को अपने ही हाथों भारी नुकसान पहुंचाया गया. इससे जीडीपी में तीव्र गिरावट आयी और पहले से ही नए रोज़गार निर्माण की ख़राब स्थिति और बदतर हुई.