नोटबंदी के पांच साल बाद मोदी सरकार के पास इसकी सफलता बताने के लिए कुछ भी नहीं है

नोटबंदी के अप्रत्याशित फ़ैसले के ज़रिये बात चाहे काले धन पर अंकुश की हो, आर्थिक प्रणाली से नकद को कम करने या टैक्स-जीडीपी अनुपात बढ़ाने की, आंकड़े मोदी सरकार के पक्ष में नहीं जाते.

नोटबंदी के पांच साल बाद भी नकद राशि अपने उच्चतम स्तर पर पहुंची: रिपोर्ट

पिछले महीने आठ अक्टूबर को समाप्त हुए पखवाड़े पर नकदी 28.30 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर रही, जो कि नोटबंदी से पहले चार नवंबर 2016 की तुलना में 57.48 फीसदी अधिक है. उस समय जनता के हाथों में 17.97 लाख करोड़ रुपये की नकद राशि उपलब्ध थी.

क्या मोदी सरकार का ​कैशलेस इंडिया अभियान विफल हो गया है?

रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के हालिया आंकड़ों के मुताबिक नोटबंदी के 15 महीने बाद बाज़ार में लगभग उतना ही कैश आ गया है जितना 8 नवंबर 2016 से पहले था.

अगर नोटबंदी सफल रही तो भाजपा यूपी चुनाव में इसका ज़िक्र क्यों नहीं कर रही?

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस के गठबंधन ने नोटबंदी को एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना दिया है, लेकिन भाजपा इससे परहेज़ करने की कोशिश कर रही है.