किसानों के दिल्ली चलो आह्वान से पहले सरकार ने 100 सोशल मीडिया एकाउंट पर रोक लगाई

13 फरवरी को किसानों का विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से यह तीसरी बार है जब केंद्र सरकार ने किसानों और उनके मुद्दे से जुड़े अपडेट देने वाले सोशल मीडिया एकाउंट पर रोक लगाई है.

अधूरे वादों को लेकर किसान समूहों ने मोदी सरकार को घेरा, 3 केंद्रीय मंत्री मिलने पहुंचे

किसान मज़दूर संघर्ष समिति के बैनर तले 200 किसान संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा के एक गुट ने 13 फरवरी को एमएसपी क़ानून और कृषि ऋण माफ़ी समेत विभिन्न मांगों को लेकर 13 फरवरी को दिल्ली कूच का आह्वान किया है. इससे पहले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, नित्यानंद राय और पीयूष गोयल किसान प्रतिनिधियों से मिलने पहुंचे थे.

कृषि क़ानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने रिपोर्ट सौंपी

सुप्रीम कोर्ट ने बीते 11 जनवरी को तीन नए विवादास्पद कृषि क़ानूनों के क्रियान्वयन पर अगले आदेशों तक रोक लगा दी थी और गतिरोध का समाधान करने के लिए चार सदस्यीय समिति नियुक्त की थी. हालांकि किसानों के विरोध और समिति को सरकार समर्थन बताने के बाद एक सदस्य ने समिति से ख़ुद को अलग कर लिया था.

एसकेएम ने यूएन मानवाधिकार परिषद से कहा, किसानों के अधिकारों का उल्लंघन हैं नए कृषि क़ानून

संयुक्त किसान मोर्चा ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीनों नए कृषि क़ानूनों से ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे किसानों और अन्य लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के घोषणा-पत्र का उल्लंघन हुआ है, जिस पर भारत ने भी हस्ताक्षर कर रखे हैं.

कृषि क़ानून: किसान संघों ने 26 मार्च को भारत बंद का आह्वान किया

नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आंदोलन के चार महीने पूरे होने के मौक़े पर किसान संघों ने 26 मार्च को भारत बंद का आह्वान किया है. किसान नेता बूटा सिंह बुर्जगिल ने कहा कि किसान और ट्रेड यूनियन मिलकर 15 मार्च को पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि और रेलवे के निजीकरण के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करेंगे.

किसान आंदोलन: पंजाब और हरियाणा में रिलायंस जियो के उपभोक्ताओं में गिरावट आई

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2020 में पंजाब और हरियाणा में रिलायंस जियो के उपभोक्ताओं में काफी कमी आई है. इसके अलावा इसी महीने में जियो एकमात्र ऐसी बड़ी कंपनी रही, जिसके उपभोक्ता कम हुए हैं.

किसानों के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाएं और स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिश लागू करें: साईनाथ

वरिष्ठ पत्रकार और कृषि मामलों के जानकार पी. साईनाथ ने कहा कि जब कॉरपोरेट की ज़रूरतों के लिए जीएसटी का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है तो किसानों के लिए संसद का विशेष सत्र क्यों नहीं बुलाया जा सकता है, जहां कृषि संकट से समाधान के लिए चर्चा की जा सके.

‘हमें नए कृषि क़ानून की ज़रूरत नहीं, पहले बुंदेलखंड पैकेज से बनीं मंडियों को शुरू कराए सरकार’

ग्राउंड रिपोर्ट: यूपी में बुंदेलखंड के सात ज़िलों में किसानों को कृषि बाज़ार मुहैया करवाने के उद्देश्य से 625.33 करोड़ रुपये ख़र्च कर ज़िला, तहसील और ब्लॉक स्तर पर कुल 138 मंडियां बनाई गई थीं. पर आज अधिकतर मंडियों में कोई ख़रीद-बिक्री नहीं होती, परिसरों में जंग लगे ताले लटक रहे हैं और स्थानीय किसान परेशान हैं.

प्रदर्शन कर रहे किसानों ने लोहड़ी पर नए कृषि क़ानूनों की प्रतियां जलाईं

दिल्ली की विभिन्न ​सीमाओं पर लकड़ियां एकत्र कर जलाई गईं और उसके चारों तरफ घूमते हुए किसानों ने नए कृषि क़ानूनों की प्रतियां जलाईं. इस दौरान प्रदर्शनकारी किसानों ने नारे लगाए, गीत गाए और अपने आंदोलन की जीत की प्रार्थना की. किसान एक महीने से ज्यादा समय से इन क़ानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं.

कृषि क़ानूनों के विपरीत सुप्रीम कोर्ट कई विवादित क़ानूनों पर रोक लगाने से कर चुका है इनकार

विवादित तीन कृषि क़ानूनों की संवैधानिकता जांचे बिना सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस पर रोक लगाने के क़दम की आलोचना हो रही है. विशेषज्ञों ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय का ये काम नहीं है. इससे पहले ऐसे कई केस- जैसे कि आधार, चुनावी बॉन्ड, सीएए को लेकर मांग की गई थी कि इस पर रोक लगे, लेकिन शीर्ष अदालत ने ऐसा करने से मना कर दिया था.

भाजपा नेताओं की तरह सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में कहा- किसान आंदोलन में हुई खालिस्तानी घुसपैठ

सुप्रीम कोर्ट में सरकार की इस स्वीकारोक्ति से पहले पिछले कुछ महीनों में कई भाजपा नेता किसान आंदोलन में खालिस्तानियों के शामिल होने का आरोप लगा चुके हैं. यहां तक कैबिनेट मंत्री रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल और कृषि नरेंद्र तोमर ने भी इस संबंध में माओवादी और टुकड़-टुकड़े गैंग जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है.

सुप्रीम कोर्ट की समिति के सदस्य सरकार समर्थक, उसके समक्ष पेश नहीं होंगे: किसान संगठन

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नए कृषि क़ानूनों पर रोक लगाते हुए किसानों से बात करने के लिए समिति बनाने के निर्णय पर किसान संगठनों ने कहा कि वे इस समिति को मान्यता नहीं देते. जब तक क़ानून वापस नहीं लिए जाते तब तक वे अपना आंदोलन ख़त्म नहीं करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कृषि क़ानूनों पर रोक लगाई, किसानों से बातचीत के लिए समिति का गठन

सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन कृषि क़ानूनों पर केंद्र और किसानों के बीच गतिरोध दूर करने के उद्देश्य से बनाई गई समिति में भाकियू के भूपेंद्र सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घानवत, प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी शामिल हैं. इन चारों द्वारा नए कृषि क़ानूनों का समर्थन किया गया है.

किसान आंदोलन संभालने में नाकाम केंद्र, कृषि क़ानूनों पर रोक लगानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ कई याचिकाओं को सुनते हुए सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि सरकार जिस तरह से मामले को संभाल रही है उससे वे बेहद निराश हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर सरकार कहे कि क़ानूनों को लागू करने पर रोक लगाएगी, तो अदालत इसके लिए समिति गठित करने को तैयार है.

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