नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ज़िला अस्पतालों को प्रति एक लाख आबादी पर कम से कम 22 बिस्तर की सिफ़ारिश की गई है. हालांकि 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ज़िला अस्पतालों में बिस्तरों की औसत संख्या 22 से कम थी. इसमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्य शामिल हैं. पुदुचेरी में सर्वाधिक औसतन 222 बिस्तर और बिहार में सबसे कम छह बिस्तर उपलब्ध हैं.
देश के ज़िला अस्पतालों की प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट जारी करने के बाद नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा कि सेहतमंद समाज के निर्माण में ऐसे अस्पतालों की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो बड़ी आबादी की स्वास्थ्य सेवा की ज़रूरतों को पूरा करते हैं. हालांकि उनकी अहम भूमिका के बावजूद दुर्भाग्य से कुछ कमियां भी हैं.
29 अप्रैल को जौनपुर के ज़िला अस्पताल के बाहर एक एंबुलेंस संचालक ने ऑक्सीजन और बेड न पा सके कई मरीज़ों को एंबुलेंस के सिलेंडर से ऑक्सीजन दी थी. ज़िला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के शासन-प्रशासन के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार और मरीज़ों को ग़लत ढंग से ऑक्सीजन देने जैसे आरोपों के बाद उन पर मामला दर्ज किया गया है.
मध्य प्रदेश के शहडोल ज़िला अस्पताल का मामला. ये मौतें 27 से 30 नवंबर के बीच हुई हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जांच में अस्पताल का कोई डॉक्टर या स्टाफ दोषी पाया जाता है तो उसे दंडित किया जाएगा.
यह घटना अल्मोड़ा ज़िले की है. परिजनों ने बताया कि पांच महीने की गर्भवती आशा देवी टायफायड के चलते अस्पताल में भर्ती थीं, जब सांस लेने में परेशानी के चलते उनके कोरोना टेस्ट की बात कही गई. लेकिन एंटीजन टेस्ट में हुई देरी और ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी के चलते उनकी मौत हो गई.
मामला सहारनपुर ज़िला अस्पताल का है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक एक महिला सोमवार सुबह इमरजेंसी वार्ड के बाहर पति के इलाज के लिए स्वास्थ्यकर्मियों से मदद मांगती रही लेकिन किसी ने नहीं सुनी. इस शख़्स की मौत हो जाने के बाद भी उनका शव काफ़ी समय तक बारिश में वहीं पड़ा रहा. सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में अपने पति को इलाज के लिए जिला अस्पताल आई एक महिला को इलाज तो दूर की बात, उनके गुजरने के बाद पति का शव उठाने वाला