उच्च न्यायालय ने चार लोगों की सज़ा रद्द करते हुए कहा कि अभियोजन यह साबित करने में नाकाम रहा कि दहेज के लिए महिला को प्रताड़ित किया गया.
शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि शारीरिक हिंसा या मृत्यु से संबंधित अपराध होने की स्थिति में तुरंत गिरफ़्तारी होगी.