राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, उन्हें मिली कुल 30,957 शिकायतों में से 9,710 गरिमा से जीने के अधिकार से संबंधित थीं, इसके बाद 6,970 घरेलू हिंसा और 4,600 शिकायतें दहेज उत्पीड़न से संबंधित थीं. आयोग को मिली लगभग 54.5 प्रतिशत शिकायतें उत्तर प्रदेश से आई थीं.
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने एक सवाल के जवाब में राज्यसभा को बताया कि देशभर में साल 2017 से लेकर 2021 तक दहेज के चलते मौत के कुल 35,493 मामले सामने आए. इस अवधि में उत्तर प्रदेश में दैनिक मृत्यु का आंकड़ा सर्वाधिक रहा, जहां हर दिन छह मौतें दर्ज की गई.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 'क्राइम इन इंडिया 2020' रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में बलात्कार के मामलों में पूर्वोत्तर के राज्यों में असम शीर्ष पर है. असम में बलात्कार के 1,657 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद त्रिपुरा में 79, मेघालय में 67 और अरुणाचल प्रदेश में 60 मामले दर्ज किए गए.
घटना 28 जून को ग्वालियर ज़िले के डबरा की है. पति कार ख़रीदने के लिए पत्नी से मायके से पैसे मांगने का दबाव बना रहा था. इससे इनकार करने पर कथित तौर पर 22 वर्षीय एक महिला को तेज़ाब पिला दिया गया. उपका इलाज दिल्ली के एक अस्पताल में चल रहा है. मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में एक पुलिसकर्मी को निलंबित कर दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि दहेज हत्या के मामलों में निचली अदालतें अक्सर आरोपी के बयान को बहुत ही सरसरी तौर पर दर्ज करती हैं और कभी-कभी बिना किसी सक्रिय भूमिका के पुरुष के परिजनों को भी इसमें शामिल कर लिया जाता है. शीर्ष अदालत ने इस बारे में दिशानिर्देश जारी किए हैं.
मामला शाहजहांपुर ज़िले का है. पीड़ित महिला का आरोप है कि उन्होंने सितंबर 2020 में आरोपी एसआई के ख़िलाफ़ बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद बीते 8 जनवरी को जब वे इस मामले में दर्ज की गई अंतिम रिपोर्ट पर विरोध याचिका दायर कर लौट रही थीं, तब आरोपी ने दोबारा उनका बलात्कार किया.
बीते 14 अक्टूबर को भागलपुर के एक अस्पताल में बुरी तरह से जली अररिया ज़िले की 22 साल की काजल ने दम तोड़ दिया. उनके माता-पिता का कहना है कि पिछले महीने बेटी पैदा होने के बाद से ही काजल को प्रताड़ित किया जा रहा था और उनके पति और ससुराल वालों ने उसे ज़िंदा जला दिया.
पुलिस ने बताया कि किशोरी के मंगेतर और उसकी मां कथित तौर उसकी हत्या कर दी. केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने दोनों को गिरफ़्तार कर लिया है.
चीफ़ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फ़ैसले में संशोधन करते हुए कहा है कि शिकायतों के निपटारे के लिए परिवार कल्याण कमेटी की ज़रूरत नहीं है.
दहेज उत्पीड़न के मामले में साल 2016 में बेटी के लापता होने की शिकायत के बावजूद दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया था.
अदालत ने सुहैब को मुआवज़े के बतौर 10 लाख रुपये अंजू के माता-पिता को देने का निर्देश भी दिया है.
बिहार के समस्तीपुर ज़िले की घटना. ससुरालवालों ने दहेज में बाइक की मांग की थी.
आपके अभियान की भाषा केवल परिवार के मुखियाओं को संबोधित कर रही है. नई पीढ़ी से संवाद का अभाव इसमें दिख रहा है.
उच्च न्यायालय ने चार लोगों की सज़ा रद्द करते हुए कहा कि अभियोजन यह साबित करने में नाकाम रहा कि दहेज के लिए महिला को प्रताड़ित किया गया.
शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि शारीरिक हिंसा या मृत्यु से संबंधित अपराध होने की स्थिति में तुरंत गिरफ़्तारी होगी.