दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के अध्यापक समरवीर सिंह की आत्महत्या से उस गहरी बीमारी का पता चलता है जो दिल्ली विश्वविद्यालय को, उसके कॉलेजों को बरसों से खोखला कर रही है; कि स्थायी नियुक्ति का आधार योग्यता नहीं, भाग्य और सही जगह पहुंच है.
शिक्षा मंत्रालय ने योगेश त्यागी पर अवकाश पर रहते हुए विश्वविद्यालय में नियमों का उल्लंघन कर नियुक्तियां करने के आरोप में जांच करने के लिए राष्ट्रपति से अनुमति मांगी थी, जो स्वीकार कर ली गई है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग में एडहॉक शिक्षक डॉ. ऋतु सिंह ने दावा किया है कि बीते अगस्त महीने में पढ़ाने के लिए उनकी जॉइनिंग हो गई थी, लेकिन जातिगत आधार पर उन्हें पढ़ाने से मना कर दिया गया. वहीं कॉलेज की प्रिंसिपल का कहना है कि अगर ऐसा है तो वे प्रमाण दिखाएं. विवाद के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने डीयू के कुलपति को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि कुलपति योगेश त्यागी ने यूनिवर्सिटी के स्टाफ द्वारा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के लिए दिए गए करीब चार करोड़ रुपये बिना किसी की सलाह के पीएम केयर्स फंड में ट्रांसफर किए हैं.
देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय को कुछ हद तक स्वायत्तता प्राप्त है. स्वायत्तता के नाम पर यहां के कुलपतियों को असीमित अधिकार मिल जाते हैं. इन अधिकारों का उपयोग कर वे विश्वविद्यालय को बेहतर बनाने के बजाय उसे बर्बाद करने में लगे रहते हैं.
बीते एक सप्ताह से दिल्ली विश्वविद्यालय के एडहॉक शिक्षक दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के नेतृत्व में स्थायी नियुक्ति को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. नियुक्ति के अलावा इनकी कई और मांगें हैं, जिनमें वीसी का इस्तीफ़ा भी शामिल है.
विशेष रिपोर्ट: दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद के लिए दो प्रोफेसरों के बीच खींचतान चल रही है. इसकी वजह से विभाग के अध्यक्ष पद की नियुक्ति अब तक नहीं हो सकी है.
13 पॉइंट रोस्टर लागू करने का फ़ैसला देश की अब तक प्राप्त सभी सामाजिक उपलब्धियों को ख़त्म कर देगा. इससे विश्वविद्यालय के स्टाफ रूम समरूप सामाजिक इकाई में बदल जाएंगे क्योंकि इसमें भारत की सामाजिक विविधता को सम्मान देने की कोई दृष्टि नहीं है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में सभा, वाद-विवाद और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए प्रबंधन की अनुमति मिलने में विद्यार्थियों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.