एक अनुमान के अनुसार कहा जाता है कि धरती की उम्र साढ़े चार सौ करोड़ साल है, लेकिन यहां जीवन की शुरुआत कैसे, कितने समय में हुई और कहां से हुई, इसकी भी कई कहानियां हैं.
भारत ने इस क़दम का विरोध करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन पर चर्चा का उचित मंच ‘जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन’ यानी यूएनएफसीसीसी है, न कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद. भारत के अलावा वीटो का अधिकार रखने वाले रूस ने इस प्रस्ताव के विपक्ष में वोट किया, जबकि चीन ने मतदान में भाग नहीं लिया.
जलवायु परिवर्तन पर आई आईपीसीसी की हालिया रिपोर्ट बताती है कि अगर पृथ्वी के जलवायु को जल्द स्थिर कर दिया जाए, तब भी जलवायु परिवर्तन के कारण जो क्षति हो चुकी है, उसे सदियों तक भी ठीक नहीं किया जा सकेगा. आईपीसीसी इस बात की पुष्टि करता है कि 1950 के बाद से अधिकांश भूमि क्षेत्रों में अत्यधिक गर्मी, हीटवेव और भारी बारिश भी लगातार और तीव्र हो गई है. संयुक्त राष्ट्र ने इसे ‘मानवता के लिए कोड रेड’ क़रार
प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. सोनकर ने कहा, लोगों में यह गलत धारणा है कि मास्क पहन लेने अथवा घर में एयर प्यूरीफायर लगा लेने से वे ख़ुद को सुरक्षित कर पा रहे हैं.
माना जा रहा है कि पृथ्वी के आकार का यह ग्रह संयमित होगा और इसकी सतह भी पृथ्वी के समान हो सकती है.
कई मीडिया संस्थानों ने प्रसिद्ध अंतरिक्ष विज्ञानी शिवथानु पिल्लई की हीलियम-3 पर दी गई जानकारी को ठीक से समझे बिना ही प्रसारित किया. विज्ञान से जुड़ी कोई ख़बर देते समय तथ्यों को लेकर सतर्कता बरतना बेहद ज़रूरी है.
वैज्ञानिकों ने मंगल पर एक ऐसे ज्वालामुखी की खोज की है जो दो अरब वर्ष से लगातार सक्रिय है.