न्यायपालिका को प्रधानमंत्री कार्यालय का हिस्सा बनाने की कोशिश की जा रही है: कांग्रेस

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर  निशाना साधते हुए कहा कि संविधान की अनदेखी की जा रही है, संवैधानिक निकायों को कमज़ोर किया जा रहा है और न्यायपालिका को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है.

क्या सरकार बच्चों और महिलाओं को भूखे-कमज़ोर रखकर भारत को आत्मनिर्भर बना सकती है?

लैंसेट के अध्ययन के अनुसार कोविड का मातृत्व मृत्यु और बाल मृत्यु दर पर गहरा प्रभाव पड़ेगा. इसके अनुसार भारत में छह महीनों में 3 लाख बच्चों की कुपोषण और बीमारियों से 14 हज़ार से अधिक महिलाओं की प्रसव पूर्व या इसके दौरान मृत्यु हो सकती है. हालांकि वित्तमंत्री द्वारा घोषित 20.97 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर पैकेज में कुपोषण और मातृत्व हक़ के लिए एक रुपये का भी आवंटन नहीं किया गया है.

आर्थिक असमानता लोगों को मजबूर कर रही है कि वे बीमार तो हों पर इलाज न करा पाएं

सबसे ग़रीब तबकों में बाल मृत्यु दर और कुपोषण के स्तर को देखते हुए यह समझ लेना होगा कि लोक सेवाओं और अधिकारों के संरक्षण के बिना न तो ग़ैर-बराबरी ख़त्म की जा सकेगी, न ही भुखमरी, कुपोषण और बाल मृत्यु को सीमित करने के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकेगा.

उदारीकरण के बाद बनीं आर्थिक नीतियों से ग़रीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ती गई

जब से नई आर्थिक नीतियां आईं, चुनिंदा पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए खुलेआम जनविरोधी नीतियां बनाई जाने लगीं, तभी से देश राष्ट्र में तब्दील किया गया. इन नीतियों से भुखमरी, कुपोषण और ग़रीबी का चेहरा और विद्रूप होने लगा तो देश के सामने राष्ट्र को खड़ा कर दिया गया. खेती, खेत, बारिश और तापमान के बजाय मंदिर और मस्जिद ज़्यादा बड़े मुद्दे बना दिए गए.

क्या संविधान ने हमें सम्मान से जीने के लिए पांव धोने की व्यवस्था दी है?

क्या किसी बेरोज़गार के घर समोसा खा लेने से बेरोज़गारों का सम्मान हो सकता है? उन्हें नौकरी चाहिए या प्रधानमंत्री के साथ समोसा खाने का मौक़ा? अगर पांव धोना ही सम्मान है तो फिर संविधान में संशोधन कर पांव धोने और धुलवाने का अधिकार जोड़ दिया जाना चाहिए.

देश के उच्च जाति के हिंदू सबसे अमीर, कुल संपत्ति के 41% के मालिक: रिपोर्ट

जेएनयू, सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी और भारतीय दलित अध्ययन संस्थान द्वारा दो साल तक किए एक अध्ययन में सामने आया है कि देश की कुल संपत्ति का 41 प्रतिशत हिंदू उच्च जातियों और 3.7 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के हिंदुओं के पास है.

सांसदों का वेतन पिछले छह सालों में चार गुना बढ़ा: वरुण गांधी

भाजपा सांसद वरुण गांधी ने सवाल उठाया कि क्या कोई आदमी अपने मन से अपनी तनख़्वाह बढ़ा सकता है या ख़ुद ही इसे तय कर सकता है, अगर नहीं तो सांसद और विधायक अपनी तनख़्वाह कैसे तय कर सकते हैं?

लोकसभा अध्यक्ष सम्पन्न सांसदों द्वारा वेतन छोड़ने का आंदोलन शुरू करवाएं: वरुण गांधी

भाजपा सांसद वरुण गांधी ने कहा कि भारत में आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है, जो कि लोकतंत्र के लिए घातक है.