2018 में वित्त मंत्रालय द्वारा ‘हाई रिस्क’ मानी गई कम से कम तीन कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड खरीदे

कामना क्रेडिट्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड, इनोसेंट मर्चेंडाइज़ प्राइवेट लिमिटेड और रेणुका इन्वेस्टमेंट फाइनेंस लिमिटेड को वित्त मंत्रालय ने 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत नियमों का उल्लंघन करने के लिए 'उच्च जोखिम वाली ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं' की वार्षिक सूची में शामिल किया गया था. इन तीनों कंपनियों ने करोड़ों रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं.

चुनावी बॉन्ड: छापों या जांच का सामना कर रही ज़्यादातर कंपनियां बॉन्ड की बड़ी खरीदार

भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा अपनी वेबसाइट पर अपलोड किए गए चुनावी बॉन्ड के डेटा के अनुसार, सबसे बड़े चंदादाताओं में शुमार फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज, मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, वेदांता और चेन्नई ग्रीनवुड्स ऐसी कंपनियां हैं जिनका कामकाज सवालों के घेरे में रहा है और वे जांच एजेंसियों के निशाने पर रही हैं.

30 फार्मा और स्वास्थ्य सेवा कंपनियों ने मिलकर 900 करोड़ रुपये से ज़्यादा के चुनावी बॉन्ड खरीदे

निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित जानकारी की अवधि में कुल 12,155 करोड़ रुपये के बॉन्ड्स खरीदे गए थे. इस राशि का लगभग 7.4% फार्मा और हेल्थकेयर कंपनियों ने खरीदा था. इसमें से यशोदा सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल ने अप्रैल 2022 में सर्वाधिक छह चरणों में 80 बॉन्ड खरीदे, जिसकी क़ीमत 80 करोड़ रुपये है.

एसबीआई के आंकड़ों में विसंगति, खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की तुलना में भुनाए गए बॉन्ड की रकम ज़्यादा

निर्वाचन आयोग द्वारा गुरुवार को जारी चुनावी बॉन्ड के आंकड़ों के अनुसार, राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए बॉन्ड की कुल राशि  12,769 करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि खरीदे गए बॉन्ड्स कुल 12,155 करोड़ रुपये के थे.

चुनावी बॉन्ड: खरीदे, भुनाए गए बॉन्ड्स के विशिष्ट नंबर न बताने पर कोर्ट ने एसबीआई को नोटिस भेजा

भारतीय स्टेट बैंक द्वारा चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड के दो सेट उपलब्ध कराए गए हैं, जिनमें बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों और उन्हें भुनाने वाले राजनीतिक दलों की सूचियां हैं, लेकिन किसी भी सूची में बॉन्ड नंबर उपलब्ध न कराए जाने से यह सत्यापित करना संभव नहीं है कि कौन-सी कंपनी या व्यक्ति किस राजनीतिक दल को चंदा दे रहे थे.

क्यों चुनाव आयोग की पारदर्शिता और कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ चुकी है?

बिना कोई कारण बताए चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफ़ा इस बात का नवीनतम उदाहरण है कि पिछले पांच वर्षों में चुनाव आयोग की स्वतंत्रता कैसे संदेह के घेरे में आ गई है.

‘चुनावी बॉन्ड फैसला मोदी सरकार के भ्रष्टाचार और लेन-देन की कलई खुलने की पहली सीढ़ी है’

भारतीय स्टेट बैंक की चुनावी बॉन्ड के विवरण जारी करने के लिए मांगे गए समय विस्तार की याचिका ख़ारिज किए जाने का स्वागत करते हुए मामले के याचिकाकर्ता एनजीओ कॉमन कॉज़ ने कहा है कि यह फैसला भारतीय नागरिकों के यह 'जानने के अधिकार' को बरक़रार रखता है कि किस पार्टी को कौन, कितना पैसा दे रहा है.

क्या भारतीय स्टेट बैंक ‘प्रधानमंत्री चंदा छिपाओ’ योजना की तरह काम कर रहा है?

भारतीय स्टेट बैंक का सारा कामकाज डिजिटल प्रणाली से होता है. किसी भी तरह का रिकॉर्ड या जानकारी हासिल करना हो तो केवल एक क्लिक से हो जाता है. पर बैंक पूरे देश के सामने झूठ बोल रहा है कि चुनावी बॉन्ड की जानकारी हासिल करने में काफी वक़्त लगेगा. यह झूठ किसके दबाव में बोला जा रहा है?

राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को प्राप्त होने वाला लगभग 60% धन ‘अज्ञात’ स्रोतों से होता है: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, 2022-23 में छह राष्ट्रीय दलों द्वारा आय के रूप में घोषित 3,076.88 करोड़ रुपये में से 59% से अधिक अज्ञात स्रोतों से आया था. इसमें से चुनावी बॉन्ड से होने वाली आय का हिस्सा 1,510.61 करोड़ रुपये या 82.42% था. इसका बड़ा हिस्सा भाजपा को मिला.

भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी वेबसाइट से चुनावी बॉन्ड से जुड़े दस्तावेज़ डिलीट किए

सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारतीय स्टेट बैंक को चुनावी बॉन्ड योजना से जुड़े विवरण चुनाव आयोग को सौंपने की समयसीमा निकलने के बीच बैंक की वेबसाइट से चुनावी बॉन्ड से जुड़े कुछ दस्तावेज़ हटा दिए गए हैं. डिलीट किए गए वेबपेज में चंदा देने वालों के लिए निर्धारित दिशानिर्देश और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न या एफएक्यू शामिल हैं.

चुनावी बॉन्ड विवरण आसानी से उपलब्ध; एसबीआई ने कोर्ट से बहाना बनाया है: पूर्व वित्त सचिव

पहली बार चुनावी बॉन्ड पेश किए जाने के समय आर्थिक मामलों के सचिव रहे पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का कहना है कि भारतीय स्टेट बैंक को चुनावी बॉन्ड की जानकारी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बैंक से चुनाव आयोग को देने के लिए कहा है, उपलब्ध कराने के लिए 'एक दिन से ज़्यादा के समय की ज़रूरत' नहीं है.

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