क़ानून विशेषज्ञों का सवाल- यूएपीए-पीएमएलए के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ध्यान क्यों नहीं देता?

द वायर और लाइव लॉ के सहयोग से कैंपेन फॉर ज्युडिशियल एकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स द्वारा आयोजित एक सेमिनार में वरिष्ठ वकील मिहिर देसाई ने कहा कि असहमति को कुचलने के लिए सरकार ने जो सबसे आसान तरीका खोजा है, वह यूएपीए का इस्तेमाल है.

2018-22 के दौरान राजनीतिक दलों की अज्ञात स्रोतों से आय बढ़कर 72% हो गई: सुप्रीम कोर्ट में पेश डेटा

सुप्रीम कोर्ट में पेश किए आंकड़ों के अनुसार, कुल अज्ञात आय - यानी 20,000 रुपये से कम की दान राशि, कूपन की बिक्री आदि - में कमी नहीं देखी गई है. 2014-2015 से 2016-2017 के दौरान यह 2,550 करोड़ रुपये थी, जो 2018-19 से 2021-2022 के दौरान बढ़कर 8,489 करोड़ रुपये हो गई.

सुप्रीम कोर्ट की प्रमुख टिप्पणियां: ‘चुनावी बॉन्ड मतदाताओं के सूचना के अधिकार का उल्लंघन हैं’

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताने वाले अपने फैसले में और भी कई महत्वपूर्ण टिप्पणी कीं, जिनमें से एक में कहा गया कि राजनीतिक फंडिंग के बारे में जानकारी एक मतदाता को यह आकलन करने में सक्षम बनाएगी कि क्या नीति निर्धारण और वित्तीय योगदान के बीच कोई संबंध है.

भाजपा का ख़ुफ़िया चुनावी बॉन्ड ग़ैर-क़ानूनी, मोदी के इस्तीफ़े की मांग उठेगी?

वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने बीते बृ​हस्पतिवार को साल 2018 में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाई गई चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द कर दिया. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी से बातचीत.

इलेक्टोरल बॉन्ड लोकतंत्र का गला दबाने की योजना थी: कपिल सिब्बल

वीडियो: बीते 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द कर दिया था. इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और आरटीआई एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज से अतुल होवाले की बातचीत.

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द किया, दान का विवरण देने को कहा

शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड जारी करने पर भी रोक लगा दी है और एसबीआई से योगदान प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों का विवरण देने के लिए कहा है. चुनावी बॉन्ड योजना 2018 की शुरुआत में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाई गई थी. इसके माध्यम से भारत में कंपनियां और व्यक्ति राजनीतिक दलों को गुमनाम दान दे सकते हैं.

चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, मोदी सरकार को लगा झटका

वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए बृहस्पतिवार को इसे रद्द कर दिया. शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड जारी करने पर भी रोक लगा दी है और योगदान प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों का विवरण देने के लिए कहा है. इस मामले पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.

भाजपा को 2022-23 में चुनावी बॉन्ड से लगभग 1300 करोड़ रुपये मिले, जो कांग्रेस से 7 गुना अधिक है

भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा सार्वजनिक की गई भाजपा की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, सत्तारूढ़ दल की कुल आय वर्ष 2022-23 में बढ़कर 2,361 करोड़ रुपये हो गई, जो 2021-22 में 1,917 करोड़ रुपये थी. वहीं, कांग्रेस की कुल आय 2021-22 के 541.27 करोड़ रुपये से घटकर 2022-23 में 452.37 करोड़ रुपये रह गईं.

जनवरी में 570 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड बिके, 94% राशि 1 करोड़ मूल्य वर्ग वाले बॉन्ड में

सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिले जवाब से पता चला है कि बीते 2 जनवरी से 11 जनवरी 2024 तक चले चुनावी बॉन्ड बिक्री के नवीनतम चरण में 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 1 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये के मूल्यवर्ग में बेचे गए 897 बॉन्ड में से 415 या लगभग आधे कोलकाता में बेचे गए हैं.

विधानसभा चुनावों के दौरान 6 से 20 नवंबर के बीच 1,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा के चुनावी बॉन्ड बिके

एक आरटीआई आवेदन के जवाब में मिली जानकारी के अनुसार, चुनावी बॉन्ड योजना के तहत नवीनतम बिक्री (29वीं किश्त) में सर्वाधिक बिक्री तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद (359 करोड़ रुपये) में हुई, इसके बाद मुंबई (259.30 करोड़ रुपये) और दिल्ली (182.75 करोड़ रुपये) रहे.

भाजपा को पिछले साल चुनावी बॉन्ड के अलावा 719 करोड़ रुपये का चंदा मिला: रिपोर्ट

चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित पार्टी की वार्षिक योगदान रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ने 2022-23 में 719.83 करोड़ रुपये चंदा मिलने की घोषणा की है. इसमें वह राशि शामिल नहीं है जो पार्टी को चुनावी बॉन्ड के ज़रिये मिली है.

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दो दिन बाद चुनावी बॉन्ड के 29वें बैच की बिक्री को मंज़ूरी मिली

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि देशभर में भारतीय स्टेट बैंक की अधिकृत शाखाएं 6 नवंबर से 20 नवंबर के बीच चुनावी बॉन्ड जारी कर सकती हैं. यह घोषणा पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से कुछ हफ्ते पहले आई है.

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