भारतीय स्टेट बैंक से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी बताती है कि 5 से 12 दिसंबर 2022 तक संपन्न हुई चुनावी बॉन्ड बिक्री की 24वीं किस्त में 260 चुनावी बॉन्ड की कुल बिक्री में से 114 करोड़ रुपये के बॉन्ड अकेले मुंबई में बेचे गए थे. 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत से लेकर 24वीं किस्त तक एसबीआई ने 11,699.83 करोड़ रुपये के कुल 20,734 चुनावी बॉन्ड बेचे हैं.
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार राजनीतिक दलों को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में चुनाव आयोग के समक्ष 20,000 रुपये से अधिक के सभी योगदानों का विवरण देना ज़रूरी है. हालांकि, चुनावी बॉन्ड इसके दायरे में नहीं आते हैं और प्रमुख राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दल उन्हें अपनी योगदान रिपोर्ट में शामिल नहीं करते.
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि चुनावी बॉन्ड की बिक्री 5 दिसंबर से शुरू होगी. भारतीय स्टेट बैंक की 29 अधिकृत शाखाओं से इनकी ख़रीद 12 दिसंबर तक की जा सकेगी.
मोदी सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना में संशोधन करते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा चुनाव के वर्ष में बॉन्ड की बिक्री 15 अतिरिक्त दिन होने का प्रावधान किया है. गुजरात और हिमाचल प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू होने के दौरान किए गए इस संशोधन के लिए चुनाव आयोग से चर्चा नहीं की गई थी.
सूचना का अधिकार क़ानून के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में भारतीय स्टेट बैंक ने बताया कि 2018 में चुनावी बॉन्ड की शुरुआत से बेचे गए कुल बॉन्ड में लगभग 93.5 प्रतिशत एक करोड़ रुपये मूल्यवर्ग के थे.
मोदी सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना,2018 में एक संशोधन करते हुए प्रावधान किया है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभा के चुनावों के वर्ष में बॉन्ड की बिक्री 15 अतिरिक्त दिन और होगी. कई राज्यों में चुनाव से ठीक पहले सरकार के इस क़दम को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं.
भारतीय स्टेट बैंक ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि केंद्र सरकार ने 1 अगस्त से 29 अक्टूबर के बीच एक करोड़ रुपये की कीमत वाले 10,000 चुनावी बॉन्ड छपवाए हैं. हिमाचल प्रदेश और गुजरात चुनावों को देखते हुए चुनावी बॉन्ड की सबसे हालिया बिक्री 1 अक्टूबर से 10 अक्टूबर के बीच की गई थी.
शीर्ष अदालत एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी तथा कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा चुनावी बॉन्ड के ज़रिये राजनीतिक दलों को चंदा मिलने के प्रावधान वाले क़ानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में आठ राष्ट्रीय दलों ने अज्ञात स्रोतों से 426.74 करोड़ रुपये प्राप्त होने की जानकारी दी है, जबकि 27 क्षेत्रीय पार्टियों के मामले में यह धनराशि 263.928 करोड़ रुपये है. इस दौरान कांग्रेस ने अज्ञात स्रोतों से 178.782 करोड़ रुपये हासिल होने का खुलासा किया है, जो राष्ट्रीय दलों को अज्ञात स्रोतों से प्राप्त कुल धनराशि का 41.89 फीसदी है.
राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के ज़रिये मिलने वाले चंदे को लेकर 'अपारदर्शिता' संबंधी चिंताओं के बीच आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश बत्रा ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया कि हाल में ख़त्म हुए बॉन्ड बिक्री के 21वें चरण तक 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड बिक चुके हैं.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक़, वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान क्षेत्रीय दलों को मिले कुल चंदे का 91.38 फीसदी यानी 113.791 करोड़ रुपये पांच दलों- जनता दल (यूनाइटेड), द्रविड़ मुनेत्र कषगम, आम आदमी पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और तेलंगाना राष्ट्र समिति को मिला है.
राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए चुनावी बॉन्ड की छपाई की कुल लागत की जानकारी हासिल करने की ख़ातिर भारतीय सुरक्षा प्रेस को आरटीआई आवेदन दिया था. हालांकि भारतीय सुरक्षा प्रेस ने तर्क दिया था कि सूचना सार्वजनिक किए जाने से देश के आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 31 क्षेत्रीय पार्टियों को कुल 529.416 करोड़ रुपये की कुल आय हुई और उन्होंने 414.028 करोड़ रुपये अपने कुल ख़र्च घोषित किए हैं.
एक आरटीआई आवेदन के जवाब में एसबीआई ने बताया कि चुनावी बॉन्ड शुरू होने के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी विधानसभा चुनाव से पहले इतनी बड़ी राशि के बॉन्ड बेचे गए. इस अवधि में बैंक की मुंबई शाखा ने सर्वाधिक 489.6 करोड़ रुपये के बॉन्ड बेचे और नई दिल्ली शाखा में सबसे अधिक बॉन्ड भुनाए गए.
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारतीय स्टेट बैंक को एक जनवरी से 10 जनवरी 2022 के बीच उसकी 29 अधिकृत शाखाओं के जरिए चुनावी बॉन्ड जारी करने और उसे भुनाने के लिए अधिकृत किया गया है.