ख़ुफ़िया एजेंसियों ने प्रस्तावित निजता के अधिकार क़ानून से 'पूरी छूट' मांगी थी, जिसे मोदी सरकार ने स्वीकार कर लिया और नागरिकों को अवैध सर्विलांस से सुरक्षित करने के लिए कानून लाने के एक दशक पुराने आश्वासन को प्रभावी रूप से ख़त्म कर दिया.
एल्गार परिषद मामले में वर्ष 2020 में गिरफ़्तार किए गए मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा 2022 से अपने नवी मुंबई स्थित घर में नज़रबंद थे. पिछले साल 19 दिसंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें ज़मानत दे दी थी, लेकिन एनआईए के अनुरोध पर आदेश को तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया था. बाद में, सुप्रीम कोर्ट ने इस अवधि को बढ़ा दिया था.
एल्गार परिषद मामले के आरोपियों में से एक 83 वर्षीय वरवरा राव ने विशेष एनआईए अदालत से मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए हैदराबाद जाने देने की अनुमति मांगी थी. अगस्त में उन्हें मिली स्थायी ज़मानत की शर्तों के अनुसार, वे कोर्ट की इजाज़त के बिना मुंबई से बाहर नहीं जा सकते हैं.
एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले के आरोपियों में से एक 83 वर्षीय वरवरा राव को बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा आधार पर ज़मानत दी थी. अब एनआईए से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही एक विशेष अदालत ने उनकी ज़मानत शर्तें तय की हैं, जिनमें उन्हें अदालत की अनुमति के बिना शहर नहीं छोड़ने के लिए कहा गया है.
अमेरिकी सुरक्षा शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उनके हाथ ऐसे सबूत लगे हैं जो बताते हैं कि पुणे पुलिस के तार एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ़्तार कार्यकर्ता रोला विल्सन, वरवरा राव और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेनी बाबू के ईमेल खातों की हैकिंग से जुड़ते हैं.
एल्गार परिषद मामले में ज़मानत पर बाहर तेलुगू कवि वरवरा राव की नई किताब 'वरवरा राव: ए रिवोल्यूशनरी पोएट' का प्रकाशन पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा किया जा रहा है. यह राव द्वारा लिखी तेलुगू कविताओं का अंग्रेज़ी में अनूदित पहला संग्रह है.
मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार गौतम नवलखा की पार्टनर सहबा हुसैन ने बताया कि उन्हें बीते 12 अक्टूबर को नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल के अंडा सेल में शिफ्ट किया गया है और उनका स्वास्थ्य काफी बिगड़ गया है. एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ़्तार कार्यकर्ताओं, वकीलों और विद्वानों में नवलखा सबसे उम्रदराज़ हैं.