एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, 'राजद्रोह के आरोप में कार्यकर्ताओं को जेल भेजना गलत है. लोकतंत्र में अपनी असहमति का सख्ती से विरोध दर्ज कराने की इजाजत है. यह पुलिस आयुक्त और कुछ अधिकारियों द्वारा शक्ति का दुरुपयोग है.'
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे पुलिस ने मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर हेनी बाबू के नोएडा स्थित घर पर छापेमारी की. बाबू का कहना है कि पुलिस के पास छापा मारने का वारंट नहीं था.
भीमा कोरेगांव: बॉम्बे हाईकोर्ट ने गोंसाल्विस से पूछा, ‘आपने घर पर ‘वार एंड पीस’ किताब क्यों रखी थी?’
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी वर्णन गोंसाल्विस और अन्य की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि 'वार एंड पीस' जैसी किताबें राज्य के खिलाफ सामग्री की ओर इशारा करते हैं. 'वार एंड पीस' रूस के प्रसिद्ध लेखक लियो टॉल्सटॉय का उपन्यास है.
तेलुगू कवि वरवरा राव भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे की यरवदा जेल में न्यायिक हिरासत में रखे गए थे. अब बेंगलुरु पुलिस ने उन्हें अपनी हिरासत में ले लिया है.
कार्यकर्ताओं के वकीलों का कहना है कि पुलिस की ओर से गिरफ़्तारी के बाद से ही मामले को लटकाने और बचाव पक्ष के जानकारियों तक पहुंचने के हर प्रयास को विफल करने की कोशिश की जा रही है.
आंबेडकर जयंती के मौके पर लेखक तेलतुम्बड़े ने कहा, 'आंबेडकर को हर कोई अपने अपने ढंग से समझता है. आज के समय में हर राजनीतिक दल उन्हें अपना बताने की कोशिश में हैं लेकिन आंबेडकर के विचारों पर कोई नहीं चलना चाहता.'
लेखकों, संस्कृतिकर्मियों और प्रबुद्धजनों ने सरकार से मांग की है कि सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े के ख़िलाफ़ लगाए गए सभी फ़र्ज़ी आरोपों को तत्काल ख़ारिज किया जाए.
भीमा-कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में बीते 28 अगस्त को माओवादियों से संबंध होने के आरोप में पांच कार्यकर्ताओं- कवि वरवरा राव, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वर्णन गोंसाल्विस को गिरफ़्तार किया गया था.
वरवर राव पर माओवादियों से संपर्क रखने का आरोप है. पुणे पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा के संबंध में बीते 28 अगस्त को पांच लोगों को गिरफ्तार किया था. वरवर राव उनमें से एक थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राव अब तक हैदराबाद के अपने घर में नज़रबंद थे.
इतिहासकार रोमिला ठाकुर ने पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं- कवि वरवरा राव, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वर्णन गोंसाल्विस को रिहा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाख़िल की थी.
पुणे की एक अदालत ने बीते शुक्रवार को सुधा भारद्वाज, वर्णन गोंसाल्विस और अरुण फरेरा की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी, जिसके बाद देर शाम वर्णन गोंसाल्विस और अरुण फरेरा को गिरफ़्तार कर लिया गया था.
पुणे की स्थानीय अदालत द्वारा इन सामाजिक कार्यकर्ताओं की ज़मानत याचिका और बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा नज़रबंदी की अवधि बढ़वाने की याचिका ख़ारिज होने के बाद पुणे पुलिस ने इन दो कार्यकर्ताओं को ठाणे और मुंबई से गिरफ़्तार किया है.
पुणे पुलिस द्वारा माओवादियों से कथित संबंध के आरोप में जून महीने में गिरफ़्तार 5 सामाजिक कार्यकर्ता पुणे की यरवडा जेल में बंद हैं. उनके वकील का दावा है कि यूएपीए हटाने समेत विभिन्न मांगों को लेकर इन लोगों ने जेल में भूख हड़ताल शुरू की है.
भीमा कोरगांव हिंसा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की कथित साज़िश रचने के आरोप में सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी के बाद से एल्गार परिषद चर्चा में है. एल्गार परिषद के माओवादी कनेक्शन समेत तमाम दूसरे आरोपों पर इसके आयोजक और बॉम्बे हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बीजी कोलसे पाटिल का पक्ष.
जन गण मन की बात की 296वीं कड़ी में विनोद दुआ नोटबंदी पर आरबीआई की हालिया रिपोर्ट और भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ़्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं पर चर्चा कर रहे हैं.