आरबीआई के पूर्व गवर्नर एवं अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने कोरोना वायरस के कारण पैदा हुई चुनौतियों पर कहा कि सरकार राजनीतिक विभाजन की रेखा को लांघ कर विपक्ष से भी मदद ले सकती है, जिसके पास पिछले वैश्विक वित्तीय संकट से देश को निकालने का अनुभव है.
जब सरकार कोरोना वायरस से मुक़ाबला करने के लिए आर्थिक गतिविधियां बंद करेगी तब मालूम होगा कि इससे बेरोज़गारी और बढ़ेगी, साथ ही लोगों की कमाई में गिरावट आएगी. ऐसे में देश के दिहाड़ी मज़दूरों और स्वरोज़गार में लगे लोगों के लिए इनकम ट्रांसफर सरकार की प्राथमिकता में होना चाहिए.
श्रम एवं रोज़गार मंत्री संतोष गंगवार ने राज्यसभा में बताया कि केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में पिछले तीन वित्तीय वर्षों में प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम के तहत सृजित हुए रोज़गार के अवसरों की संख्या शून्य रही, जबकि 2016-17 में लक्षद्वीप में रोज़गार के 1398 अवसर सृजित हुए थे.
नोटबंदी के समय कहा गया था कि इसके दूरगामी परिणाम होंगे. तीन साल हो गए, आगामी कितने साल में आएगी दूरगामी?
अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट की तरफ से प्रकाशित 15 से 29 साल के बीच के युवाओं पर की गई है. रिपोर्ट के अनुसार, 2004-05 में युवा बेरोज़गारों की कुल संख्या 89 लाख रही, जो 2011-12 में 90 लाख, जबकि 2017-18 में 2.51 करोड़ पर पहुंच गई.
इस रिपोर्ट को अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट की तरफ से प्रकाशित किया गया है. आज़ाद भारत में पहली बार नौकरियों में इस तरह की गिरावट दर्ज हुई है.
मुख्यमंत्री बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा संचालित गोशालाओं के गोवंश को देखभाल के लिए इच्छुक लोगों को दिया जाएगा, जिसके लिए उन्हें प्रति पशु के लिए प्रतिदिन तीस रुपये के हिसाब से 900 रुपये महीना दिया जाएगा.
वीडियोः दिल्ली में लोकसभा चुनाव के लिए 12 मई को मतदान होना है. पहली बार वोट करने जा रहे युवा चुनावी मुद्दों को लेकर क्या सोचते हैं, इस पर दिल्ली की इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं से रीतू तोमर की बातचीत.
हम भी भारत की इस कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी बहराइच लोकसभा क्षेत्र में बच्चों के कुपोषण, ग़रीबी और बेरोज़गारी के मुद्दों पर ग़ैर सरकारी संगठन देहात एनजीओ के कार्यकारी अधिकारी जितेंद्र चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार सलीम सिद्दीक़ी, शिक्षिका डॉ. अनुपमा झा और वरिष्ठ पत्रकार अज़ीम मिर्ज़ा से चर्चा कर रही हैं.
भाजपा के आर्थिक मामलों के प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि भारत में नए रोज़गार चाहने वालों की संख्या बहुत अधिक है. इतनी बड़ी संख्या में युवाओं को नई सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती. इसीलिए हमारा ज़ोर उद्यमिता और स्व-रोज़गार पर है.
ऑडियो: इलेक्शननामा की इस कड़ी में सुनिए मौजूदा लोकसभा में नौजवानों और उनसे जुड़े मुद्दों पर युवा हल्ला बोल अभियान के अनुपम के साथ बातचीत. साथ ही जानिए उन नौजवानों के बारे में, जो इस चुनाव में उम्मीदवार तो हैं पर जिनके बारे में ज़्यादा चर्चा नहीं हो रही है.
मोदी सरकार के दावे और उनकी ज़मीनी हक़ीक़त पर विशेष सीरीज: 2016 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य रोज़गार के अवसर पैदा करना और युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें रोज़गार देना था. आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक 31 मार्च 2018 तक 20 लाख प्रशिक्षुओं को तैयार करने का लक्ष्य था, जिसमें से केवल 2.90 लाख प्रशिक्षु तैयार हुए. इनमें से भी महज़ 17, 493 को इस योजना का लाभ मिला.
घोषणा-पत्र में सरकारी नौकरियों को एक शब्द के लायक न समझकर भाजपा ने साबित कर दिया है कि उसके लिए नौजवान और रोज़गार दोनों का मतलब बदल गया है.
लोकसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले चुनावों पर नजर रखने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉमर्स द्वारा हाल ही में जारी किये गये राष्ट्रीय सर्वेक्षण में यह खुलासा किया गया है.
पिछले छह साल में रोजगार की तलाश करने वाली ग्रामीण महिलाओं की संख्या में आई 2.8 करोड़ की गिरावट समेत आज की बड़ी ख़बरें. दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का अपडेट.