सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने केरल सरकार की महत्वाकांक्षी ‘के-रेल’ परियोजना की आलोचना करते हुए कहा कि इससे कृषि भूमि और आर्द्रभूमि नष्ट होने का ख़तरा है. इस परियोजना के पारिस्थितिक प्रभाव को मापने के लिए कोई अध्ययन नहीं किया गया है. राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के साथ ही केंद्र ने भी इसके लिए अभी तक अनुमति नहीं दी है.