एक रिपोर्ट के अनुसार, 2013 से 2022 के दशक के बीच ठंड के कारण हर साल औसतन 810 लोगों की मौत हुई है. इस दौरान साल 2015 में ठंड से सबसे अधिक 1,149 लोगों की मौत हुई और 2021 में सबसे कम 618 मौतें दर्ज की गईं. साल 2022 में ठंड से सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में 192 लोगों की मौत की सूचना है.
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक ने कहा कि राज्य सरकार ने सबसे अधिक प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए गौचर के पास बमोथ गांव में भूमि की पहचान की है. हालांकि, लोगों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव को खारिज कर दिया. निवासी जोशीमठ से बहुत दूर स्थानांतरित नहीं होना चाहते हैं क्योंकि उनकी आजीविका मंदिर शहर पर निर्भर है. खतरे वाले क्षेत्रों की पहचान और चिह्नांकन में भी विसंगति है.
एक समाचार रिपोर्ट बताती है कि अक्टूबर-दिसंबर 2023 के बीच टाइम सिटी मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी नामक एक कंपनी ने सरयू नदी के पास 1.13 करोड़ रुपये में ज़मीन का एक टुकड़ा ख़रीदा, जिसे कुछ हफ्तों बाद अडानी समूह को तीन गुना से भी अधिक कीमत पर बेच दिया गया. टाइम सिटी समूह एक पूर्व भाजपा विधायक का है.
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा और उसके बाद मालदीव के साथ हुए राजनयिक विवाद के बाद लक्षद्वीप काफी चर्चा में है. हालांकि, स्थानीय सांसद मोहम्मद फैज़ल ने कहा कि यह द्वीप बहुत संवेदनशील और पारिस्थितिक रूप से नाज़ुक है. उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए पर्यटकों की आमद को नियंत्रित करना होगा.
उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव के नुकसान का आकलन करने के लिए भेजी गईं सरकारी एजेसियों ने एक रिपोर्ट में कहा है कि यहां के कुल 2,152 घरों में से 1,403 घर ज़मीन धंसने से प्रभावित हुए हैं. इन पर तत्काल ध्यान देने की ज़रूरत है. रिपोर्ट में राज्य सरकार से मानसून के अंत तक शहर में नए निर्माण पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का भी आग्रह किया गया है.
जोशीमठ में भू-धंसाव को लेकर आठ सरकारी संस्थानों की रिपोर्ट में एनटीपीसी को क्लीन चिट दे दी गई है. हालांकि, विशेषज्ञों ने इस संकट के लिए क्षेत्र में अनियोजित और अराजक इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं, विशेष रूप से एक बिजली संयंत्र जिसमें विस्फोट और पहाड़ों में ड्रिलिंग शामिल थे, को ज़िम्मेदार ठहराया है.
अदालत ने यह टिप्पणी तब की, जब जोशीमठ के भूस्खलन का अध्ययन करने वाले केंद्र सरकार के आठ संस्थानों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में उसके सामने रखा गया.
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र सिंह पंवर ने परवाणू-सोलन चार-लेन राजमार्ग के निर्माण में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) पर आपराधिक लापरवाही का आरोप लगाया है. आरोप है कि सड़क का निर्माण पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन करके किया गया है.
ओडिशा में इस साल के पहले तीन महीनों में जंगली हाथियों के साथ संघर्ष में मानव हताहतों की संख्या में 50 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. ढेंकनाल ज़िले को हाथियों के उत्पात का सबसे ज़्यादा ख़ामियाजा भुगतना पड़ा है, जहां 14 लोग मारे गए. इसके बाद अंगुल में 13, क्योंझर में 8, मयूरभंज और संबलपुर जिलों में पांच-पांच लोग मारे गए.
ऑडियो: टाटा एनर्जी एंड रिसोर्सेज़ इंस्टिट्यूट की पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. अंजू गोयल का मानना है कि प्रदूषण को शिक्षा की तरह एक राजनीतिक मुद्दा बनाया जाना चाहिए, इससे बड़ा फर्क आएगा.
कोयला लेवी मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को नया रायपुर में जीएसटी, पर्यावरण और श्रम विभाग में छापेमारी की. इसी मामले में बीते 20 फरवरी को 10-12 जगहों पर छापेमारी की गई थी, जिसमें कांग्रेस विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों के आवास भी शामिल थे.
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लेखक अमिताव घोष ने कहा कि जब जलवायु परिवर्तन असर दिखा रहा है, मानव हस्तक्षेप आपदा को और बढ़ा रहे हैं. जैसा कि जोशीमठ में हुआ. केदारनाथ और बद्रीनाथ की तीर्थ यात्रा पर जाने का पूरा मतलब यह है कि यह कठिन है. लोगों के वहां जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था करने का कोई मतलब नहीं है. जहां एक ओर पर्यावरण की रक्षा को लेकर बैठकें हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर खनन के लिए
जोशीमठ शहर में भूमि धंसाव से प्रभावित लोगों के लिए चल रहे राहत कार्य के बीच अनुसूचित जाति के कुछ रहवासियों ने जाति के कारण उपेक्षा किए जाने की शिकायत की है. उत्तराखंड राज्य अनुसूचित जाति आयोग का कहना है कि वे इसकी जांच करेंगे और आरोप सही पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी.
राष्ट्रपति ने बीते मानवाधिकार दिवस पर पूरे जीव जगत और उनके निवास स्थान का सम्मान करने की बात कही थी. कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप के बैनर तले 87 पूर्व सिविल सेवकों ने उन्हें इस कथन की याद दिलाते हुए लिखा है कि आपके ऐसा कहने के बाद भी सरकार देश के प्राचीनतम प्राकृतिक आवासों में से एक को नष्ट करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
‘विकास’ का यह कौन-सा मॉडल है, जो जोशीमठ ही नहीं, पूरे हिमालय क्षेत्र में दरार पैदा कर रहा है और इंसान के लिए ख़तरा बन रहा है? सरकारी ‘विकास’ की इस चौड़ी होती दरार को अगर अब भी नज़रअंदाज़ किया गया, तो पूरी मानवता ही इसकी भेंट चढ़ सकती है.