असली देशद्रोही वे हैं जो सत्ता का दुरुपयोग कर भारतीयों को आपस में बांटते हैं: सोनिया गांधी

संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक लेख में कहा कि सत्तारूढ़ दल संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग कर रहा है, उन्हें नष्ट कर रहा है और स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय की इनकी नींव को कमज़ोर कर रहा है.

अमेरिका में भेदभाव विरोधी क़ानून में जाति को जोड़ने पर सिर्फ़ हिंदू ख़फ़ा क्यों हैं?

भले ही शास्त्रीय मान्यता न हो, व्यवहार में जातिगत भेद भारत के हर धार्मिक समुदाय की सच्चाई है. अमेरिका जाने वाले सिर्फ़ हिंदू नहीं, अन्य धर्मों के लोग भी हैं. अमेरिका के सिएटल में लागू जातिगत भेदभाव संबंधी क़ानून सब पर लागू होगा, सिर्फ़ हिंदुओं पर नहीं. फिर हिंदू ही क्यों क्षुब्ध हैं?

गांधी: हिंसा बहादुरी नहीं कायरता का लक्षण है और तलवारें कमज़ोरों का हथियार

पुण्यतिथि विशेष: गांधी की रामराज्य की अवधारणा कोई धार्मिक अवधारणा नहीं, बल्कि महान नैतिक मूल्यों पर आधारित और प्राचीनता व आधुनिकता दोनों की रूढ़ियों से मुक्त वैकल्पिक सभ्यता का पर्याय थी. उनके निकट धर्म भी इन्हीं महान नैतिक मूल्यों को बरतने का दूसरा नाम था.

गोरख पांडे: इस दुनिया को जितनी जल्दी संभव हो, बदल देना चाहिए…

पुण्यतिथि विशेष: गोरख पांडे कहते थे कि उनके लिए कविता और प्रेम ही दो ऐसी चीजें थीं, जहां व्यक्ति को मनुष्य होने का बोध होता है. भावनाओं को वे अस्तित्व की निकटतम अभिव्यक्ति मानते थे.

संविधान की रक्षा करना ही देशभक्ति का सच्चा प्रतीक है: सीताराम येचुरी

माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने गणतंत्र दिवस पर एक संबोधन में कहा कि संविधान सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सभी के लिए न्याय की गारंटी देता है. ये मूलभूत मूल्य हैं जिन पर संविधान टिका हुआ है और आज यही मूल्य ख़तरे का सामना कर रहे हैं.

हर व्यक्ति स्वतंत्र है, हमें एक दूसरे की स्वतंत्रता का सम्मान और रक्षा करनी चाहिए: मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गणतंत्र दिवस समारोह में कहा कि बाबा साहेब ने कहा था कि देश आपस में लड़कर ग़ुलाम हो गया, किसी दुश्मन के सामर्थ्य के कारण नहीं. हम आपस में लड़ते रहे, इसलिए गुलाम हुए.. हमारा बंधुवाद समाप्त हो गया. स्वतंत्रता और समता एक साथ लानी है तो बंधुभाव लाना चाहिए.

सद्भावना कप: सांप्रदायिक उन्माद के दौर में खेल के ज़रिये नफ़रत ख़त्म करने की कोशिश

पटना की समर चैरिटेबल ट्रस्ट बीते चार सालों से पंचायत स्तर पर 'सद्भावना कप' के नाम से एक क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजित करवा रही है, जिसमें भाग लेने वाली टीमों के लिए पहली शर्त यह होती है कि उसके खिलाड़ी समाज के हर समुदाय और वर्ग से हों.

रघुवीर सहाय: कुछ न कुछ होगा, अगर मैं बोलूंगा…

जन्मदिन विशेष: रघुवीर सहाय की कविता राजनीतिक स्वर लिए हुए वहां जाती है, जहां वे स्वतंत्रता के स्वप्नों के रोज़ टूटते जाने का दंश दिखलाते हैं. पर लोकतंत्र में आस्था रखने वाला कवि यह मानता है कि सरकार जैसी भी हो, अकेला कारगर साधन भीड़ के हाथ में है.

केरल हाईकोर्ट ने पूछा- सिर्फ लड़कियों, महिलाओं के रात में बाहर निकलने पर पाबंदी क्यों

केरल हाईकोर्ट 2019 के उस सरकारी आदेश के ख़िलाफ़ याचिका सुन रहा है, जिसमें रात 9.30 बजे के बाद उच्च शिक्षण संस्थानों के हॉस्टल की लड़कियों के बाहर निकलने पर पाबंदी लगाई गई है. कोर्ट ने कहा कि सरकार का दायित्व कैंपस को सुरक्षित रखना है. समस्याएं पुरुष पैदा करते हैं तो उन्हें बंद किया जाना चाहिए.

सवाल कविता कृष्णन पर नहीं, सीपीआई माले पर है

कविता कृष्णन के सवालों पर चुप्पी साधते हुए सीपीआई माले के उन्हें विदा करने के बाद बहुत सारे पुराने, निष्क्रिय ‘मार्क्सवादियों’ ने इस बात के लिए दोनों की तारीफ़ की कि उन्होंने अलग होने में ‘शालीनता दिखाई.’ ज़रूरी सवालों पर चुप रह जाना शालीनता नहीं होती, बल्कि उठाए गए सवालों पर सहमति होती है.

क्या अब अभद्रता पद और सत्ता के लिए ज़रूरी हो चली है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हमारा समय दुर्भाग्य से ऐसा हो गया है कि राजनेता किसी को कुछ भी कह सकते हैं, अभद्रता और अज्ञान से. उनके अनुयायियों की भावनाएं इस अभद्रता से आहत नहीं होतीं.

समाज में समानता लाने के लिए अंतरजातीय विवाहों को बढ़ावा देने की ज़रूरत: केंद्रीय मंत्री अठावले

सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने ओडिशा में जातिगत अत्याचारों में आई कमी को अंतरजातीय विवाहों की संख्या में हुई वृद्धि से जोड़ते हुए कहा है कि ऐसे विवाहों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए और अधिक प्रयास करने की ज़रूरत है.

भारतीय आप्रवासियों के रास्ते क्या जातिगत भेदभाव विदेशों में भी पैठ बना रहा है

गूगल न्यूज़ में दलित अधिकार कार्यकर्ता थेनमोजी सौंदरराजन का जाति के मुद्दे पर होने वाला लेक्चर रद्द कर दिया गया. ख़बर आई कि भारतीय मूल के कथित ऊंची जाति से आने वाले कुछ कर्मचारियों ने सौंदरराजन को 'हिंदू-विरोधी' बताते हुए ईमेल्स भेजे थे.

न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी कम, शीर्ष अदालत में 1950 से सिर्फ़ 11 महिला जज: जस्टिस बनर्जी

पहले ‘अंतराष्ट्रीय महिला न्यायाधीश दिवस’ के कार्यक्रम में जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की संख्या बढ़ने के बावजूद निर्णय लेने वाले पदों पर महिलाओं का अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है. कार्यक्रम में जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि उच्च न्यायालयों के 680 न्यायाधीशों में 83 महिला न्यायाधीशों का होना बहुत कम संख्या है और निचली अदालतों में क़रीब 30 प्रतिशत महिला न्यायिक अधिकारी हैं.

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने क़ानूनी शिक्षा में लड़कियों के लिए आरक्षण की हिमायत की

पहले अंतराष्ट्रीय महिला न्यायाधीश दिवस के उपलक्ष्य में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि वर्तमान में शीर्ष अदालत में चार महिला न्यायाधीश हैं, जो इसके इतिहास में अब तक की सबसे अधिक संख्या है और निकट भविष्य में भारत पहली महिला प्रधान न्यायाधीश का गवाह बनेगा.