कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने घाटी से स्थानांतरित किए जाने की मांग को लेकर बुधवार को जम्मू में राहत और पुनर्वास आयुक्त के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. कर्मचारियों ने कहा कि हमारे ख़ून, बच्चों को अनाथ होने और पत्नियों को विधवा करने की कीमत पर हमारा पुनर्वास न करें. एकमात्र समाधान घाटी के बाहर कहीं भी स्थानांतरित करना है.
कश्मीर घाटी में आतंकवादियों द्वारा कश्मीरी पंडितों समेत अल्पसंख्यक समुदाय के ग़ैर-मुस्लिमों को निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं के विरोध में लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है. प्रधानमंत्री पैकेज के तहत भर्ती किए गए कर्मचारी घाटी से कहीं और बसाए जाने की मांग कर रहे हैं.
ऑल माइग्रेंट्स एम्प्लॉइज़ एसोसिएशन कश्मीर के बैनर तले सैकड़ों महिला एवं पुरुष कर्मचारी जम्मू स्थित प्रेस क्लब के बाहर जमा हुए. उन्होंने तख्तियां पकड़ी हुई थीं जिन पर लिखा था, ‘हमारे ख़ून की कीमत पर हमारा पुनर्वास न करें. हमारे बच्चे अनाथ हो रहे हैं. हमारी पत्नियां विधवा हो रही हैं. और सिर्फ एक ही समाधन है, घाटी के बाहर कहीं भी स्थानांतरण.’
घाटी में निशाना बनाकर की जा रही हालिया हत्याओं के मद्देनज़र कश्मीर में तैनात डोगरा और कश्मीरी पंडित दोनों समुदायों के कर्मचारियों का तबादला किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि घाटी में सुरक्षा स्थिति सुधरने तक उन्हें अस्थायी रूप से जम्मू स्थानांतरित कर देना चाहिए.
जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की लगातार हो रही हत्या के विरोध में विभिन्न दलों ने भाजपा नीत केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि घाटी के राजनीतिक दलों को इन हत्याओं के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं है. जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के प्रमुख अल्ताफ़ बुख़ारी ने कहा कि अगर इन हत्याओं को बंद नहीं किया गया तो यह शर्म की बात होगी. शिवसेना नेता संजय राउत ने
दक्षिण कश्मीर के कुलगाम ज़िले में बीते 31 मई को एक सरकारी स्कूल में आतंकवादियों द्वारा शिक्षक रजनी बाला की हत्या किए जाने के बाद कश्मीर में कार्यरत अधिकतर डोगरा कर्मचारी जम्मू लौट आए हैं. कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें कश्मीर घाटी से स्थानांतरित कर जम्मू क्षेत्र के उनके गृह जिलों में तैनात किया जाए. इस बीच भाजपा ने रविवार को डोगरा और कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों से अपील की है कि वे घाटी छोड़कर न जाएं.
जम्मू कश्मीर में हाल के दिनों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की हत्या की बढ़ती घटनाओं के मद्देनज़र कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों को घाटी से बाहर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने का सरकार को निर्देश देने के लिए हाईकोर्ट से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. समिति का कहना है कि कश्मीर में रहने वाले हिंदू घाटी छोड़ना चाहते हैं, लेकिन सरकार उन्हें ऐसा करने नहीं दे रही है.
कश्मीर घाटी में लगातार आतंकवादियों द्वारा नागरिकों और ग़ैर-मुस्लिमों को निशाना बनाकर की जा रही हत्याओं के बीच भयभीत कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग घाटी छोड़कर जा रहे हैं या इसकी योजना बना रहे हैं. ख़बरों के अनुसार, कश्मीर में उनके कई रिहायशी शिविरों में उन्हें प्रशासन द्वारा जबरन रोका जा रहा है.