असम पुलिस ने कछार ज़िले में 16 जुलाई को एक मुठभेड़ में तीन उग्रवादियों को मारने का दावा किया था. इनमें से एक 35 वर्षीय जोशुआ भी थे. उनके परिजनों ने मुठभेड़ को फर्ज़ी क़रार देते हुए कहा है कि वह मणिपुर के फेरज़ावल ज़िले के सेनवोन गांव के निवासी थे और अदरक, चावल तथा सब्जियों की खेती करते थे.
असम पुलिस ने कछार ज़िले में 16 जुलाई को मुठभेड़ में तीन उग्रवादियों को मारने का दावा किया था. अब पूर्वोत्तर के हमार जनजाति के शीर्ष संगठन हमार इनपुई ने घटना की निंदा करते हुए इन्हें 'न्यायेतर हत्याएं' करार दिया है, जहां गिरफ़्तारी के 24 घंटे के भीतर ही उन्हें मुठभेड़ में मार गिराया गया.
यह मामला 12-13 जुलाई, 1991 की दरम्यानी रात को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत शहर में 10 सिखों की हत्या से संबंधित है. कुछ सिख तीर्थयात्री पीलीभीत से एक बस में तीर्थयात्रा के लिए जा रहे थे. आरोपी पुलिसकर्मी इस बस से 10 सिख युवकों को पकड़कर अपने साथ ले गए थे और तीन अलग-अलग एनकाउंटर में उन्हें मार डाला था.
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाईकोर्ट से कहा कि वह 2000 से 2012 तक मणिपुर में कथित गै़र-न्यायिक हत्याओं के आरोपी सुरक्षाकर्मियों पर मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी देने के मुद्दे पर छह महीने के भीतर फैसला करे. अदालत ऐसी हत्याओं के 1,528 मामलों की जांच की मांग वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
नागरिक समाज संगठनों द्वारा मार्च 2017 और मार्च 2018 के बीच में उत्तर प्रदेश में पुलिस एनकाउंटर की 17 घटनाओं का अध्ययन किया गया है, जिसमें 18 लोगों की मौत हुई थी. इसमें से किसी में भी किसी पुलिसकर्मी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इन मामलों की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी की थी. इनमें से 12 मामलों में आयोग ने पुलिस को क्लीनचिट दे दी है.