एआई-निर्मित तस्वीर के आधार पर भारतीय टीवी चैनलों ने पेंटागन के पास ‘विस्फोट’ की झूठी ख़बर चलाई

बीते 22 मई को एक तस्वीर के माध्यम से कई भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनलों ने अमेरिका में वाशिंगटन​ स्थित रक्षा विभाग का मुख्यालय पेंटागन के पास एक कथित विस्फोट की रिपोर्ट प्रसारित की थी. बाद में पता चला कि ये तस्वीर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से तैयार एक बनावटी छवि थी.

कोर्ट ने यूट्यूबर मनीष कश्यप से कहा- तमिलनाडु जैसे स्थिर राज्य में अशांति पैदा नहीं कर सकते

यूट्यूबर मनीष कश्यप के ख़िलाफ़ तमिलनाडु में बिहार के श्रमिकों पर हमले के फ़र्ज़ी वीडियो प्रसारित करने के आरोप में एनएसए के तहत एफ़आईआर दर्ज की गई है. सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका के माध्यम से कश्यप ने तमिलनाडु और बिहार में दर्ज मामलों को एक साथ जोड़ने और बिहार ट्रांसफर करने का अनुरोध किया था.

पीआईबी फैक्ट-चेक इकाई ने 3 साल में मिले 1.2 लाख सवालों में से महज़ 1,223 पर कार्रवाई की

सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत नवंबर 2019 में प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो में एक फैक्ट-चेक इकाई बनाई थी, जिसे केंद्र से संबंधित फ़र्ज़ी ख़बरों के स्वत: संज्ञान के साथ नागरिकों द्वारा भेजे प्रश्नों के माध्यम से संज्ञान लेने का काम मिला था. इसे सही जानकारी के साथ इन सवालों का जवाब देने और सोशल मीडिया पर किसी भी ग़लत सूचना को चिह्नित करने का भी काम सौंपा गया है. 

फेक न्यूज़ फैलाने वाले मनीष कश्यप भाजपा की ‘जाति की राजनीति’ के पोस्टर बॉय बन गए हैं

बीते दिनों तमिलनाडु में बिहार के श्रमिकों पर कथित हमले की अफ़वाह फैलाने के आरोप में ख़ुद को पत्रकार बताने वाले यूट्यूबर मनीष कश्यप को बिहार पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. अब राज्य में मुख्य विपक्षी दल भाजपा मनीष कश्यप को ‘सवर्ण’ जाति के एक पीड़ित के रूप में चित्रित करने का प्रयास कर रही है, ताकि सत्तारूढ़ महागठबंधन का मुक़ाबला कर सके.

पीएम मोदी को नोबेल का दावेदार बताने की ख़बर फ़र्ज़ी, मीडिया ने समिति सदस्य का ग़लत बयान चलाया

भारत के कुछ मीडिया संस्थानों ने बीते दिनों नोबेल पुरस्कार समिति के डिप्टी लीडर एसले टोजे के हवाले से ट्वीट किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोबेल शांति पुरस्कार के शीर्ष दावेदार हैं. हालांकि टोजे ने ऐसी कोई बात नहीं की थी, फिर भी मीडिया संस्थानों ने ग़लत तरीके से उन्हें कोट किया. बाद में ज़्यादातर ने अपना ट्वीट डिलीट कर लिया.

तमिलनाडु में बिहारी श्रमिकों पर हमले की अफ़वाह फैलाने वालों से भाजपा का क्या रिश्ता है?

विशेष रिपोर्ट: बीते दिनों तमिलनाडु में बिहार के श्रमिकों पर कथित हमले की अफ़वाह फैलाने के पीछे ख़ुद को पत्रकार बताने वाले यूट्यूबर मनीष कश्यप का नाम आया है. पड़ताल बताती है कि इस मामले में कई एफआईआर में नामजद मनीष इससे पहले भी कई मामलों में आरोपी हैं और उन्हें भाजपा, संघ नेताओं का समर्थन मिलता रहा है.

प्रवासी श्रमिकों पर हमले को लेकर स्टालिन ने कहा, उत्तर भारत के भाजपा नेता अफ़वाह फैला रहे

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने दावा किया है कि 2024 के आम चुनावों से पहले एकजुट विपक्ष बनाने के उनके बयानों के कारण राज्य में प्रवासी श्रमिकों पर हमले और धमकी से जुड़ीं फ़र्ज़ी ख़बरें और अफ़वाहें फैलाई गईं. उन्होंने कहा कि उत्तर भारतीय राज्यों के भाजपा सदस्यों ने बुरी नीयत से ऐसा किया.

बिहारी श्रमिकों से जुड़ी अफ़वाह के बाद भाजपा वालों को ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’ कहना चाहिए!

तमिलनाडु में बिहारी मज़दूरों पर हमलों की अफ़वाह को पूरे देश में फैलाने वाले मुख्य रूप से भाजपा के नेता थे. एक नहीं, कई राज्यों के. इसका नुक़सान इसीलिए बहुत गहरा है कि वह देश के ही दो हिस्सों में विभाजन की साज़िश है. भाजपा के इस कृत्य को सबसे घृणित अपराधों की श्रेणी में रखा जाना चाहिए.

केरल: ड्रग तस्करी केस में लड़की के इंटरव्यू के संबंध में पुलिस ने एशियानेट चैनल की तलाशी ली

यह तलाशी अभियान एक विधायक द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर आधारित था. आरोप है कि एशियानेट समाचार चैनल द्वारा एक स्कूली छात्रा का साक्षात्कार, जिसे कथित तौर पर ड्रग कूरियर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया था, फ़र्ज़ी ख़बर थी.

झूठी ख़बरों के दौर में सच ‘शिकार’ बन गया है: सीजेआई चंद्रचूड़

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम एक ऐसे युग में रहते हैं, जहां लोगों में धैर्य और सहिष्णुता की कमी है, क्योंकि वे ऐसे नज़रिये को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं जो उनके नज़रिये से अलग हो.

इज़रायली समूह भारत और अन्य देशों में फ़र्ज़ी सोशल मीडिया अभियान चला रहा है: रिपोर्ट

ब्रिटेन के द गार्जियन अख़बार समेत विश्व के 30 मीडिया संस्थानों के एक संघ द्वारा की गई पड़ताल में सामने आया है कि इज़रायल की एक तथाकथित 'टीम जॉर्ज' यूनिट ने भारत समेत 20 देशों में फ़र्ज़ी सोशल मीडिया अभियान चलाए.

आईटी नियम: एडिटर्स गिल्ड ने कहा- पीआईबी को नियामक शक्तियां देना अवैध और असंवैधानिक

सरकार की अधिकृत सूचना इकाई पीआईबी को सोशल मीडिया मंचों पर फ़र्ज़ी ख़बरों की निगरानी का अधिकार दिए जाने के प्रस्ताव पर विभिन्न मीडिया संगठनों ने गहरी चिंता व्यक्त की है. इससे पहले एडिटर्स गिल्ड ने कहा था कि फ़र्ज़ी ख़बरों का निर्धारण सिर्फ़ सरकार के हाथ में नहीं सौंपा जा सकता है, इसका नतीजा प्रेस को सेंसर करने के रूप में निकलेगा.

फ़र्ज़ी ख़बरें बताने का ज़िम्मा पीआईबी को देना बंदर के हाथ में उस्तरा देने के समान है

आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधन कहता है कि पीआईबी की फैक्ट-चेक इकाई द्वारा ‘फ़र्ज़ी’ बताई गई सामग्री सोशल मीडिया समेत सभी मंचों से हटानी होगी. द रिपोर्टर्स कलेक्टिव की पत्रकार तपस्या ने बताया कि इस फैक्ट-चेक इकाई ने उनकी एक रिपोर्ट को बिना किसी दस्तावेज़ी प्रमाण के सिर्फ महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक ट्वीट के आधार पर 'फ़र्ज़ी' क़रार दे दिया था.

आईटी नियमों में संशोधनों को हटाया जाए, मीडिया परिषद की स्थापना की जाए: प्रेस एसोसिएशन

प्रेस एसोसिएशन ने कहा कि प्रेस काउंसिल पहले से ही फ़र्ज़ी समाचार की कई शिकायतों पर फैसला कर रही है. पीआईबी जैसी विशुद्ध रूप से सरकारी संस्था को फेक न्यूज़ को निर्धारित करने और कार्रवाई करने की शक्ति मिलने से प्रेस काउंसिल का अधिकार, स्वतंत्रता कम हो जाएगी, जो 1966 से सुचारू रूप से काम कर रही है.

आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधन प्रेस की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचा सकता है: डिजीपब

आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधन कहता है कि पीआईबी की फैक्ट-चेकिंग इकाई या किसी अन्य सरकारी एजेंसी द्वारा 'फ़र्ज़ी' क़रार दी गई सामग्री सोशल मीडिया समेत सभी मंचों से हटानी होगी. डिजिटल मीडिया संगठनों के संघ डिजीपब ने कहा कि यह प्रेस की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाने का संस्थागत तंत्र बन सकता है.