द वायर एक्सक्लूसिव: एक जुलाई, 2017 को कृषि कल्याण सेस ख़त्म कर दिया गया था, लेकिन आरटीआई से मिली जानकारी बताती है कि जनता से अब भी यह टैक्स वसूला जा रहा है.
द वायर एक्सक्लूसिव: आरटीआई के तहत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूको बैंक, सिंडिकेट बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक जैसे राष्ट्रीयकृत बैंकों ने स्वीकार किया है कि किसानों के खातों में डाले गए करोड़ों रुपये वापस ले लिए गए हैं.
हरिद्वार के लक्सर का मामला. 65 वर्षीय किसान ईश्वर चंद शर्मा ने सुसाइड नोट में बैंक से पांच लाख का लोन दिलाने वाले बिचौलिए पर पैसों के लिए उन्हें ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है.
कृषि क्षेत्र के बहुत सारे आंकड़े या तो उपलब्ध नहीं है या देरी से जारी किए गए हैं. अक्सर, यह आंकड़े, दूसरे आंकड़ों से मिलते जुलते नहीं हैं.
भाजपा सांसद मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 तक चावल के उत्पादन में चार से छह प्रतिशत, आलू में 11 प्रतिशत, मक्का में 18 प्रतिशत और सरसों के उत्पादन में दो प्रतिशत तक की कमी संभावित है. इसके अलावा एक डिग्री सेल्सियस तक तापमान वृद्धि के साथ गेंहू की उपज में 60 लाख टन तक कमी आ सकती है.
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2018 तक में फसल बीमा के तहत कार्यरत सरकारी कंपनियों को 4,085 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसमें से सबसे बड़ा घाटा एआईसी को हुआ है.
वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने कहा कि सरकार टिकाऊ खेती के लिए पहल तो कर रही है लेकिन उसमें किसान केंद्र में नहीं है. स्थायी व्यवसाय के रूप में कृषि तभी बच सकती है जब किसानों को खुद को बचाए रखने का मौका दिया जाएगा.
उत्तर प्रदेश में आगरा के किसान प्रदीप शर्मा ने फसल बीमा के संबंध में कृषि विभाग में भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया है. इससे पहले शर्मा ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी थी.
विशेष रिपोर्ट: कृषि मंत्रालय ने वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसद की प्राक्कलन समिति को बताया कि अगर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, सरसों जैसी फसलों पर जलवायु परिवर्तन का काफी बुरा प्रभाव पड़ सकता है. समिति ने इस समस्या को हल करने के लिए सरकार की कोशिशों को नाकाफी बताया है.
वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई वाली संसदीय समिति ने कहा है कि किसानों को फसल बीमा योजनाओं की ओर आकर्षित करने के लिए इनमें पर्याप्त पूंजी आवंटन की ज़रूरत है.
सभी फसलों के लिए एमएसपी निर्धारित नहीं की जाती है जिसकी वजह से टमाटर, प्याज और आलू जैसे उत्पादों की हालत बेहद ख़राब है.
महाराष्ट्र के किसान संजय साठे ने 750 किलो प्याज़ के महज़ 1,064 रुपये मिलने से नाराज़ होकर इसे मनीऑर्डर के ज़रिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा था. पीएमओ ने इसे लेने से इनकार करते हुए उन्हें डिजिटल माध्यम से पैसे भेजने को कहा है.
प्याज़ की कम कीमत मिलने के कारण तात्याभाउ खैरनर और मनोज धोंडगे ने आत्महत्या कर ली. महाराष्ट्र से लगातार ये ख़बरे आ रही हैं कि प्याज के किसान अपने उत्पाद को कम दाम में बेचने को मजबूर हैं.
महाराष्ट्र: 2,657 किलो प्याज़ बेचने पर 6 रुपये की बचत, नाराज़ किसान ने पूरा पैसा मुख्यमंत्री को भेजा
अहमदनगर ज़िले के एक किसान श्रेयस अभाले ने 2,657 किलो प्याज़ बेची तो उन्हें 2,916 रुपये मिले. मजदूरी और परिवहन पर आए ख़र्च के तौर पर 2,910 रुपये चुकाने के बाद किसान के पास मात्र छह रुपये बचे.
नासिक की येओला तहसील में कृषि उत्पादन बाजार समिति में एक किसान ने 545 किलोग्राम प्याज़ 51 पैसे प्रति किलोग्राम के भाव से बेचा. किसान का कहना है कि क्षेत्र में सूखे जैसी स्थिति है. इस आय में कैसे घर चलाऊं, कैसे अपने क़र्ज़ चुकाऊं.