गुरुनानक जयंती पर राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वर्ष से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि क़ानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा करते हुए कहा, 'मैं देश से माफ़ी मांगता हूं क्योंकि लगता है कि हमारे प्रयासों में कुछ कमी रह गई है, जिसके कारण हम कुछ किसानों को सच्चाई समझा नहीं सके.'
जब से किसानों ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन शुरू किया था, तब ही से भाजपा नेताओं से लेकर केंद्रीय मंत्रियों तक ने किसानों को धमकाने और उन्हें आतंकी, खालिस्तानी, नक्सली, आंदोलनजीवी, उपद्रवी जैसे संबोधन देकर उन्हें बदनाम करने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी थी.
किसान आंदोलन इसका जीवित प्रमाण है कि यदि लक्ष्य की स्पष्टता हो तो विचार भिन्नता के बावजूद संयुक्त संघर्ष किया जा सकता है. संयुक्त किसान मोर्चा ने एक लंबे अरसे बाद संयुक्त संघर्ष की नीति को व्यावहारिकता में साबित करके दिखाया है.
लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के दौरान जान गंवाने वाले किसानों और पत्रकार रमन कश्यप के परिवार ने कृषि क़ानून निरस्त हो जाने के बाद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्ख़ास्त करने की मांग की है.
शेतकारी संगठन के अध्यक्ष और विवादित कृषि क़ानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के एक सदस्य अनिल जे. घानवत ने कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उठाया गया सबसे प्रतिगामी क़दम है, क्योंकि उन्होंने किसानों की बेहतरी के बजाय राजनीति को चुना. समिति सदस्यों ने यह भी कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट उनके द्वारा मार्च में सौंपी गई रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करता है तो वे कर देंगे.
मोदी सरकार इतनी आसानी से किसानों के आगे नहीं झुकी है. किसानों द्वारा एक साल से देश के विभिन्न हिस्सों में कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किए गए लगातार विरोध प्रदर्शनों के बाद आख़िरकार सरकार को इन्हें वापस लेने का निर्णय लेना ही पड़ा.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि क़ानून वापस लिए जाने के निर्णय को वोट के लिए लिया गया फ़ैसला बताया और कहा कि सैकड़ों किसानों की मौत के आगे झूठ की माफ़ी नहीं चलेगी.
तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का विभिन्न किसान नेताओं और राजनीतिक नेताओं ने स्वागत किया है. भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि संसद में क़ानून को निरस्त होने के बाद ही वे आंदोलन वापस लेंगे. वहीं, कांग्रेस ने भाजपा पर हमला करते हुए पूछा कि क़ानूनों के चलते सैकड़ों लोगों की जान जाने की ज़िम्मेदारी कौन लेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच की निगरानी के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया. पीठ ने कहा कि जांच के परिणाम में पारदर्शिता और पूर्ण निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए जैन की नियुक्ति की गई है.
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के विरोध में बीते तीन अक्टूबर को वहां के आंदोलित किसानों ने ज़िले में स्थित उनके पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक समारोह में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध किया था. आरोप है कि इस दौरान केंद्रीय मंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा ने किसानों को अपनी गाड़ी से कुचल दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी.
लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए पत्रकार रमन कश्यप के भाई पवन ने इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा और उनके बेटे समेत 14 लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज करने का आदेश देने का आग्रह करते हुए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि आंदोलन के एक साल पूरे होने के अवसर पर 26 नवंबर और इसके बाद देशभर में आंदोलन को व्यापक रूप से धार दी जाएगी. 29 नवंबर से इस संसद सत्र के अंत तक 500 चुनिंदा किसान शांतिपूर्वक और पूरे अनुशासन के साथ ट्रैक्टर से हर दिन संसद तक जाएंगे.
मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना की भी आलोचना यह कहते हुए कि एक नए संसद भवन के बजाय एक विश्व स्तरीय कॉलेज बनाना बेहतर होगा. उन्होंने यह भी कहा कि वे किसानों के आंदोलन का समर्थन करने के लिए अपने पद से हटने को तैयार हैं.
शीर्ष अदालत ने यूपी पुलिस को फटकार लगाते हुए वीडियो साक्ष्य के संबंध में फॉरेंसिक रिपोर्ट में हुई देरी का संज्ञान लिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि विरोध करने वाले किसानों पर हमला करने को लेकर दर्ज केस को किसानों की मौत के बाद हुई हिंसा के मामले के साथ जोड़कर हल्का किया जा रहा है.
पटियाला के पंजाबी यूनिवर्सिटी से जुड़े दो अर्थशास्त्रियों द्वारा किया गया ये अध्ययन उन दावों को खारिज करता है कि किसान आंदोलन में ज्यादातर ‘बड़े किसान’ ही हैं. ये अध्ययन पिछले 11 महीनों के विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए लगभग 600 में से 460 किसानों के आंकड़ों पर आधारित है.