केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते दिनों भारत में मुसलमानों की स्थिति को इस आधार पर ठीक बताया था कि देश में उनकी आबादी बढ़ रही है. हालांकि, उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि भारतीय मुसलमान, विशेष रूप से सार्वजनिक जीवन में, कम प्रतिनिधित्व के गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं.
संसद की कार्यवाही के बार-बार स्थगित होने के बीच दो बार केंद्रीय बजट को पारित करने के असफल प्रयास हुए थे. गुरुवार शाम विपक्ष द्वारा बताए गए संशोधनों को ध्वनिमत से ख़ारिज करते हुए इसे मात्र 12 मिनट के भीतर पारित कर दिया गया.
आरएसएस से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश बजट में की गईं कई घोषणाओं पर असंतोष व्यक्त किया है और कहा है कि आज देश चीन से रिकॉर्ड तोड़ आयात और बढ़ते व्यापार घाटे से गुज़र रहा है, लेकिन वित्त मंत्री का ध्यान इस ओर नहीं गया.
बजट 2023-24 का लोकलुभावनवाद यह है कि यह दिखने में तो समाज के हर वर्ग, चाहे वे स्त्रियां हों, जनजातियां, दलित, किसान या फिर सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम, को कुछ न कुछ देने की बात करता है, लेकिन घोषणाओं का तभी कोई अर्थ होता है, जब हर किसी के लिए लिए पर्याप्त फंड का आवंटन भी हो.
नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम के बजट अनुमान 2023-24 में आवंटन शून्य है, वहीं स्किल इंडिया कार्यक्रम के तहत 348.99 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है.
वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को 3,097 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जबकि पिछले साल यह 5,020.50 करोड़ रुपये था.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश वित्त वर्ष 2023-24 के बजट की विपक्षी दलों ने आलोचना करते हुए कहा है कि यह विपक्ष शासित राज्यों के साथ भेदभाव करता है और इसमें गरीबों, किसानों, मज़दूरों आदि का ख्याल न रखते हुए पूंजीपतियों का हित देखा गया है.
बजट को चाहे जितना भी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाए, नरेंद्र मोदी के सत्ता में नौ साल की विरासत मैन्युफैक्चरिंग, निजी निवेश और रोज़गार में ठहराव की है. हाल के दिनों में बढ़ती महंगाई एक अतिरिक्त समस्या बन गई है.
2023 के आम बजट में मनरेगा आवंटन में भारी कमी करते हुए इसके लिए 60,000 करोड़ रुपये दिए गए हैं. हालांकि, वित्त वर्ष 2023 के लिए संशोधित अनुमान 89,400 करोड़ रुपये था, जो 73,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान से अधिक था.
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के अंतिम पूर्ण बजट को पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई कर व्यवस्था की घोषणा की. उन्होंने यह भी जोड़ा कि अब से आयकर स्लैब की संख्या छह से घटाकर पांच की गई है.
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने आर्थिक संकेतकों और अर्थव्यवस्था के संदर्भ सहित कई मुद्दों को लेकर लोकसभा में मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसी को नीचा दिखाने के लिए ‘पप्पू’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था. आज आंकड़ों के ज़रिये पता चलता है कि ‘असली पप्पू’ कौन है.
कांग्रेस सांसद ए. रेवंत रेड्डी द्वारा लोकसभा में सवाल-जवाब के दौरान उनकी जाति का ज़िक्र करने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आपत्ति जताते हुए कहा कि आप जाति और धर्म के आधार पर चुनकर नहीं आते हैं... सदन के भीतर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल न करें, अन्यथा कार्रवाई करनी होगी.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से रुपये की मज़बूती को लेकर अपनाए जाने वाले उपायों के बारे में पूछा गया था, जिस पर उन्होंने कहा कि डॉलर लगातार मज़बूत हो रहा है. इसलिए तय है कि मज़बूत होते डॉलर के सामने बाकी सभी मुद्राएं कमज़ोर प्रदर्शन करेंगी.
एनएसओ के अनुसार, जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर साल-दर-साल धीमी होकर 4.1% हो गई. यह एक साल में इसकी सबसे धीमी गति है. वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.71 प्रतिशत रहा है जो संशोधित बजट अनुमान से कम है.
केंद्र सरकार द्वारा वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर को हितधारकों ने निवेशकों को हतोत्साहित करने वाला बताया है. इनका मानना है कि आने वाला दौर डिजिटलीकरण और टेक्नोलॉजी का है, ऐसे में अगर भारत ने इसके लिए अनुकूल माहौल तैयार नहीं किया तो यह कुछ प्रमुख व्यवसायों और निवेशकों को खो देगा.