अगर जिन्ना, जो कम से कम 1937 तक देश के साझा स्वतंत्रता संघर्ष का हिस्सा थे, की प्रशंसा करना अपराध है तो हमारे निकटवर्ती अतीत में भाजपा के कई बड़े नेता ऐसे अपराध कर चुके हैं.
भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य और आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गेनाइज़र पत्रिका के पूर्व संपादक शेषाद्री चारी ने कहा कि दुर्भाग्य से हमारे नेताओं ने इस बारे में नहीं सोचा. अगर हमारे नेताओं ने तब इस बारे में सोचा होता और जिन्ना को प्रधानमंत्री पद की पेशकश की होती तो कम से कम विभाजन नहीं होता. हालांकि ये अलग मुद्दा है कि उनके बाद प्रधानमंत्री कौन बनता.