यूएई से मदद स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं: केरल मुख्यमंत्री

केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने आपदा प्रबंधन नियमों का हवाला देते हुए कहा कि गंभीर आपदा के समय में विदेशी सरकार द्वारा दी जाने वाली स्वैच्छिक सहायता स्वीकार की जा सकती है. अगर केंद्र सरकार इसे लेने से इनकार करती है तो उसे इसकी भरपाई करनी चाहिए.

केरल बाढ़: यूएई की 700 करोड़ रुपये की मदद के प्रस्ताव को ठुकरा सकती है केंद्र सरकार

केरल को बाढ़ से उबारने के लिए संयुक्त अरब अमीरात की सरकार ने 700 करोड़ रुपये की मदद देने की घोषणा की है. मंगलवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इसकी जानकारी दी थी.

गुरुमूर्ति जी! केरल की बाढ़ के पीछे महिलाएं नहीं, सत्ताओं की नीतिगत विफलताएं और इंसानी लोभ हैं

नीति-निर्माण में भागीदार होने के बावजूद गुरुमूर्ति सच्चाइयों का सामना नहीं करना चाहते और शुतरमुर्ग की तरह रेत में सिर गड़ाकर इस अंधविश्वास की शरण लेना चाहते हैं कि सारा अनर्थ सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के कारण हुआ है.

अरब सागर में मॉनसून का ज़ोर पकड़ना केरल के लिए घातक हुआ, अब तक 373 लोगों की मौत

बारिश और बाढ़ से केरल में 54.11 लाख प्रभावित हुए और उनमें से 12.47 लाख लोगों ने 5,645 राहत शिविरों में शरण ली है. कोच्चि हवाई अड्डे को 220 करोड़ रुपये का नुकसान. 26 अगस्त से शुरू हो सकती हैं उड़ाने.

केंद्र ने पर्यावरण पर गाडगिल कमेटी रिपोर्ट की जानकारी देने से मना किया था: पूर्व सूचना आयुक्त

पर्यावरणविद माधव गाडगिल ने 2011 में सौंपी एक रिपोर्ट में केरल में बाढ़ की आशंका जताई थी. पूर्व सूचना आयुक्त शैलेष गांधी ने बताया कि इस रिपोर्ट को केंद्र सरकार ने देश के आर्थिक हितों पर प्रभाव का हवाला देते हुए आरटीआई के तहत सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया था.

केरल में बाढ़ से मरने वालों की संख्या 210 हुई, कर्नाटक और तमिलनाडु भी बाढ़ की चपेट में

केरल के ज़्यादातर हिस्सों को रविवार को बारिश से राहत मिली. मौसम विभाग की अगले चार दिनों में भारी वर्षा की कोई चेतावनी नहीं है. कर्नाटक में 3,500 लोगों को बचाया गया. तमिलनाडु में 14,000 लोगों को राहत शिविरों में भेजा गया.

बाढ़ प्रभावित केरल में अब भी हज़ारों लोगों को है सुरक्षित निकाले जाने का इंतज़ार

बारिश के बीच भूस्खलन की घटनाएं बढ़ीं. केरल सरकार ने आपदा से 19,512 करोड़ रुपये की क्षति की सूचना दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 करोड़ रुपये की घोषणा की, जबकि राज्य सरकार ने 2,000 करोड़ रुपये की सहायता मांगी है.

केरल में बारिश और बाढ़ के बीच खाद्य पदार्थों के साथ पीने के पानी की कमी

बीते 29 मई को दक्षिण-पश्चिम मानसून आने के बाद केरल में 385 लोग मारे जा चुके हैं. तकरीबन 3.14 लाख लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं. चेंगन्नूर के विधायक साजी चेरियन ने कहा कि हज़ारों लोग खाने-पीने की चीज़ों के बिना घरों में फंसे हुए हैं. इनकी जान का ख़तरा है. संयुक्त राष्ट्र ने भी चिंता जताई.

जन गण मन की बात, एपिसोड 290: रक्षा बजट पर संसदीय समिति की रिपोर्ट और केरल में बाढ़

जन गण मन की बात की 290वीं कड़ी में विनोद दुआ रक्षा बजट पर मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति की रिपोर्ट और केरल में आई बाढ़ पर चर्चा कर रहे हैं.

केरल में बाढ़ का संकट गहराया, चार ज़िलों में एक दिन में 100 से ज़्यादा लोगों की मौत

केरल में बाढ़ से अब तक तकरीबन 173 लोगों की मौत. सात राज्यों में बारिश और बाढ़ से 868 की मौत. सुप्रीम कोर्ट ने मुल्लापेरियार बांध का जलस्तर 142 से घटाकर 139 फुट करने के निर्देशों का पालन करने को कहा. तमिलनाडु सरकार ने जलस्तर घटाने से इनकार किया.

केरल में बारिश और बाढ़ से हालात गंभीर, अब तक 75 लोगों की मौत, कोच्चि हवाई अड्डा बंद

आठ अगस्त से जारी बारिश के बाद आई बाढ़ से केरल के सभी 14 ज़िले बुरी तरह प्रभावित. लोग सोशल मीडिया पर मदद के लिए लगा रहे गुहार. एनडीआरएफ की 12 और टीमें बचाव कार्य के लिए भेजी गईं. उच्चतम न्यायालय ने हालात को गंभीर बताया.

बिहार में ​फिर बाढ़ की आहट, पिछले साल के प्रभावितों को अब तक नहीं मिला मुआवज़ा

बिहार में एक बार फिर कई नदियां उफान पर हैं. पिछले साल राज्य के 17 जिलों में बाढ़ आई थी. इससे करीब 1.71 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे. 8.5 लाख लोगों के घर टूट गए थे और करीब 8 लाख एकड़ फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी.

इस दौर में हमारी राजनीति ज़्यादा गिरी है कि भूजल, तय कर पाना कठिन है

विश्व जल दिवस: दीवारें खड़ी करने से समुद्र पीछे हट जाएगा, तटबंद बना देने से बाढ़ रुक जाएगी, बाहर से अनाज मंगवाकर बांट देने से अकाल दूर हो जाएगा. बुरे विचारों की ऐसी बाढ़ से, अच्छे विचारों के ऐसे ही अकाल से, हमारा यह जल संकट बढ़ा है.

हर मौसम आजकल कोई न कोई शोक संदेश लेकर आता है

प्रकृति विरोधी विकास हमें विनाश की और ले जा रहा है. पहाड़ों को काटने, नदियों को बांधने और जंगलों को मिटाने का मतलब विकास नहीं है, यह ख़ुद को मिटाने की भौतिक तैयारी है. हमारी शिक्षा ने हमें अपने परिवेश और पर्यावरण से बहुत दूर कर दिया है. ये जंगल, पर्वत और झरने हमें अध्यात्म का विषय लगते हैं, पर इससे पहले ये भूगोल का विषय हैं.

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