वीडियो: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत वितरित किए जाने वाले खाद्यान्न बैगों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर प्रदर्शित हो. भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने अपने सभी 26 क्षेत्रीय कार्यालयों से इस संबंध में टेंडर जारी करने को कहा है.
बीते जनवरी में जारी एक परिपत्र में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने अपने सभी 26 क्षेत्रीय कार्यालयों को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत खाद्यान्न वितरित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांकेतिक लोगो के साथ बुने हुए लैमिनेटेड बैग की ख़रीद के लिए टेंडर जारी करने को कहा है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार द्वारा भारतीय खाद्य निगम को सीधे राज्य को चावल बेचने की अनुमति पर अचानक रोक लगाने के फैसले को ‘कन्नड’ और ‘ग़रीब’ विरोधी क़रार दिया है. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी और भाजपा लोगों को 10 किलो मुफ्त चावल देने के ख़िलाफ़ क्यों हैं? वे ग़रीबों से भोजन क्यों छीनना चाहते हैं?
विशेष रिपोर्ट: दस्तावेज़ों से पता चलता है कि नीति आयोग खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के दायरे के विस्तार का प्रबल विरोधी है. इसने बार-बार ग़रीबों को सब्सिडी वाला राशन देने वाली सार्वजनिक खाद्य वितरण प्रणाली के आकार को घटाने और उसमें बड़े बदलाव लाने की कोशिश की है.
सूचना का अधिकार क़ानून से पता चला है कि भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में 2018-19 में 5,213 टन, 2019-20 में 1,930 टन और 2020-21 में 1,850 टन अनाज प्राकृतिक आपदाओं और रखरखाव के कारणों से नष्ट हुआ था.
एक्सक्लूसिव: साल 2018 में कैग ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि 2013-14 से 2015-16 के बीच एफसीआई ने हरियाणा के कैथल में अडानी समूह के गोदाम में इसकी क्षमता के अनुसार गेहूं नहीं रखा और खाली जगह का किराया भरते रहे. मोदी सरकार अब इस रिपोर्ट से यह बात हटवाने का प्रयास कर रही है.
सरकार के पास कोई आइडिया नहीं है. वह हर आर्थिक फैसले को एक इवेंट के रूप में लॉन्च करती है. तमाशा होता है, उम्मीदें बंटती हैं और नतीजा ज़ीरो होता है.
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भारतीय खाद्य निगम में चौकीदार के 53 पदों के लिए 1.08 लाख लोगों ने आवेदन किया था. अभ्यर्थियों के चयन में गड़बड़ियां देखने के बाद भारतीय खाद्य निगम ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.
अखिल भारतीय किसान सभा ने कहा, धान के एमएसपी में 200 रुपये की वृद्धि किसानों के साथ ऐतिहासिक विश्वासघात है.