चीन के बढ़ता उत्सर्जन, वैश्विक व्यापार में प्रभुत्व और जलवायु वित्त में योगदान से बचने की नीति ने जलवायु विमर्श को कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है. पहले विकसित देश अमीर देशों के अन्यायपूर्ण दृष्टिकोण का सामना कर रहे थे, अब चीन का रुख़ भी इसमें शामिल हो गया है.
भारत की योजना 2030 तक 100 मीट्रिक टन कोयले का गैसीकरण करने की है और देश के पास इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रचुर भंडार हैं. लेकिन इसे सफल बनाने के लिए कुछ चुनौतियों, जैसे ख़राब गुणवत्ता के कोयले, और प्रभावी कार्बन कैप्चर, यूटिलाइज़ेशन और स्टोरेज तकनीक की कमी आदि से निपटना होगा.