पिछले दिनों शिक्षण संस्थानों से जुड़े दो मामले सामने आए. पहला था एक प्राइवेट विश्वविद्यालय 'गलगोटिया यूनिवर्सिटी' के कथित राजनीतिक इस्तेमाल का, वहीं दूसरा मुंबई के एक प्राइवेट स्कूल का, जिसकी प्रिंसिपल को अपने राजनीतिक विचारों को व्यक्त करने की वजह से नौकरी से निकाल दिया गया.
गलगोटिया यूनिवर्सिटी के छात्रों पर जो सवाल उठा, वह किसी एक कैंपस का मामला नहीं है. तमाम सरकारी विश्वविद्यालयों का भी गलगोटियाकरण हो रहा है. इस प्रक्रिया में विश्वविद्यालय प्रशासन, छात्रसंघ और गलगोटियातुर छात्रों की भूमिका अहम है.