अपनी याचिका में बिलक़ीस बानो ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की समीक्षा की भी मांग की है, जिसमें गुजरात सरकार को दोषियों की सज़ा पर निर्णय लेने की अनुमति दी गई थी.
राष्ट्रीय राजधानी में श्रद्धा वाकर की उनके लिव-इन पार्टनर आफ़ताब पूनावाला द्वारा की गई निर्मम हत्या ने बहुत दर्द और गुस्सा पैदा किया है. पुलिस का कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करे कि आफ़ताब को इस नृशंस हत्या की सज़ा मिले. लेकिन आगे महिलाओं के प्रति हिंसा न हो, उसके लिए बतौर समाज हमें क्या करना चाहिए?
गुजरात के पूर्व मंत्री चंद्रसिंह राउलजी उस समिति में शामिल थे, जिसने बिलक़ीस बानो बलात्कार और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या के 11 दोषियों की रिहाई के पक्ष में सर्वसम्मति से फैसला दिया था. गोधरा से छह बार के विधायक रहे राउलजी ने एक इंटरव्यू में दोषियों को ‘संस्कारी ब्राह्मण’ बताया था.
केंद्रशासित प्रदेश अंडमान निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव एवं वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जितेंद्र नारायण पर एक युवती ने सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया है. आरोप है कि युवती को सरकारी नौकरी का झांसा देकर नारायण के घर ले जाया गया और फिर वहां नारायण सहित शीर्ष अधिकारियों ने उसके साथ बलात्कार किया था.
2012 में दिल्ली के छावला इलाके में तीन लोगों ने एक 19 वर्षीय युवती को अपहरण कर सामूहिक बलात्कार किया और उनकी हत्या कर दी थी. 2014 में इस मामले को निचली अदालत ने ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ क़रार देते हुए तीनों आरोपियों को मौत की सज़ा सुनाई थी. बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इसे बरक़रार रखा था.
बीते 19 अक्टूबर को त्रिपुरा के उनाकोटी ज़िले में 16 वर्षीय किशोरी के साथ हुए कथित सामूहिक बलात्कार मामले में पबियाचेरा से भाजपा विधायक और राज्य के श्रम मंत्री भगवान दास के बेटे का नाम सामने आया है. कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा के मंत्री के बेटे के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई. मुख्यमंत्री ख़ुद इस मुद्दे से अच्छी तरह वाक़िफ़ हैं, लेकिन चुप हैं.
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन ने सुप्रीम कोर्ट में नए सिरे से एक याचिका दायर किया है, जिसमें बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले के 11 दोषियों की सज़ा माफ़ करने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है.
बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की सज़ा माफ़ी और रिहाई के निर्णय का बचाव करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि 'जो भी हुआ है, क़ानून के अनुसार हुआ है.' वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार द्वारा दायर जवाब को 'बोझिल' बताते हुए कहा कि इसमें तथ्यात्मक बयान गुम हैं.
गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की सज़ा माफ़ी के लिए केंद्र सरकार ने मंज़ूरी दी थी. इसे लेकर कांग्रेस ने कहा कि क्या मोदी सरकार ने सभी बलात्कारियों से ऐसे ही बर्ताव करने का निर्णय लिया है? क्या रेप मामलों में यह नया मानक तय किया गया है?
सुप्रीम कोर्ट में बिलक़ीस बानो मामले के 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई के ख़िलाफ़ याचिका के जवाब में गुजरात सरकार ने कहा है कि इस क़दम को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंज़ूरी दी थी. सरकार के हलफ़नामे के अनुसार, सीबीआई, स्पेशल क्राइम ब्रांच, मुंबई और सीबीआई की अदालत ने सज़ा माफ़ी का विरोध किया था.
घटना अंबेडकर नगर ज़िले की है. आरोप है कि 16 सितंबर को स्कूल जाते समय एक तेरह साल की छात्रा का अपहरण करने के बाद दो लोगों द्वारा बलात्कार किया गया था. पीड़िता के परिवार के अनुसार, पुलिस द्वारा मामले में बरती गई ढिलाई से क्षुब्ध छात्रा ने आत्महत्या का क़दम उठाया.
उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद ज़िले के भोजपुर इलाके का मामला. पुलिस ने कहा कि घटना एक सितंबर को भोजपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में हुई थी और पीड़िता के रिश्तेदार द्वारा सात सितंबर को दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर एक आरोपी को गिरफ़्तार कर लिया गया है.
गुजरात सरकार द्वारा इसकी क्षमा नीति के तहत बिलक़ीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के मामले में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
2002 में सुप्रीम कोर्ट ने बिलक़ीस मामले में शामिल होने का फैसला किया था क्योंकि उसे पता था कि गुजरात सरकार बलात्कारियों और हत्यारों को बचा रही है. बीस साल बाद भी कुछ नहीं बदला है.
पूर्व नौकरशाहों द्वारा प्रधान न्यायाधीश को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि हम इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि शीर्ष अदालत ने इस मामले को इतना ज़रूरी क्यों समझा कि दो महीने के भीतर फैसला लेना पड़ा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि मामले की जांच गुजरात की 1992 की माफ़ी नीति के अनुसार की जानी चाहिए, न कि इसकी वर्तमान नीति के अनुसार.