73 वर्षीय साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता साहित्यकार दामोदर माऊजो ने कहा कि 2009 के मारगाओ ब्लास्ट के बाद सनातन संस्था पर कार्रवाई हुई होती तो गौरी लंकेश, नरेंद्र दाभोलकर, एमएम कलबुर्गी और गोविंद पानसरे जैसे लोगों की हत्या नहीं होती.
एसआईटी के एक अधिकारी ने बताया कि आरोपी मोहन नायक को कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ ज़िले से 18 जुलाई को गिरफ़्तार किया गया. अदालत ने उसे छह दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है.
अदालत ने जांच एजेंसियों से पूछा कि क्या अधिकारियों के बीच सामंजस्य की कमी है या फिर अधिकारियों ने अपनी जांच मात्र मोबाइल फोन रिकॉर्ड तक सीमित कर दी है.
श्रीराम सेना के प्रमुख प्रमोद मुथालिक के बयान पर विवाद. कांग्रेस ने जताई कड़ी प्रतिक्रिया. विवाद के बाद मुथालिक ने कहा कि गौरी लंकेश की तुलना कुत्ते से नहीं की.
श्रीराम सेना के ज़िला प्रमुख को पूछताछ के लिए एसआईटी ने समन भेजा. एसआईटी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘फॉरेंसिक जांच से पुष्टि होती है कि गोविंद पानसरे, एमएम कलबुर्गी और गौरी की हत्या एक ही हथियार से की गई.’
एसआईटी ने संदिग्धों से एक डायरी बरामद की है जिसमें फिल्मकार गिरीश कर्नाड के अलावा ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता साहित्यकार बीटी ललिता नाइक, निदुमामिडी मठ के प्रमुख वीरभद्र चन्नामल्ला स्वामी और तर्कवादी सीएस द्वारकानाथ के नाम शामिल हैं.
पुलिस द्वारा कोर्ट को सौंपी गई फॉरेंसिक रिपोर्ट के अनुसार गौरी और कलबुर्गी की हत्या में इस्तेमाल हुई गोलियां 7.65 एमएम कैलिबर वाली देसी बंदूक से चलाई गई थीं.
ऐसे लोग जिन्हें इंटरनेट की भाषा में ट्रोल कहा जाता है, प्रधानमंत्री मोदी न सिर्फ उन्हें फॉलो कर रहे हैं बल्कि उनकी 'प्रतिभा' को प्रोत्साहित भी कर रहे हैं. कार्टूनिस्ट क्षितिज वाजपेई इसका सबसे ताज़ा उदाहरण हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने की ऐसी कोशिश हाल के वर्षों में पहले अनुभव नहीं की गई.
हत्या के छह महीने बाद मामले में पहली गिरफ़्तारी हुई. बीते साल पांच सितंबर को वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की बेंगलुरु में हत्या कर दी गई थी.
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने भारत में पत्रकारों की हत्या की निंदा करते हुए ऐसी घटनाओं पर चिंता ज़ाहिर की है.
निरपराधों के ख़िलाफ़, विरोध में हिंसा के महिमामंडन का बढ़ता सामान्यीकरण हमारे समाज के नैतिकता के ताने-बाने को उजागर करता है.
गोविंद पानसरे और नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच की निगरानी का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी की.
इतिहासकार गुहा ने ट्वीट किया था, ‘आज के भारत में स्वतंत्र लेखकों और पत्रकारों को प्रताड़ित किया जा रहा, यहां तक कि हत्या कर दी जा रही, लेकिन हमें चुप नहीं किया नहीं जा सकता.'
इंटरपोल ने इन संदिग्धों में से चार के नाम मडगांव बम धमाके में शामिल होने के आरोप में रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया था.